फाइल फोटो : कोरबा पुलिस की गिरफ्त में सभी दोषी
O जघन्य अपराध ने हिला दिया था प्रदेश को; निचली अदालत ने सुनाई थी मौत की सजा, हाई कोर्ट ने बदला फैसला,अब ताउम्र कैद की दी सजा
TTN Desk
कोरबा । छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कोरबा के लेमरू में जनवरी 2021 में हुए सामूहिक दुष्कर्म और तिहरे हत्याकांड के एक जघन्य मामले में पांच दोषियों की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया है। इस फैसले से पूरे प्रदेश में एक बार फिर इस सनसनीखेज वारदात चर्चा में आ गई है।
O क्या था पूरा मामला ?
यह हृदय विदारक घटना 29 जनवरी 2021 को कोरबा जिले के लेमरू थाना क्षेत्र के गढ़-उपरोड़ा गांव में हुई थी। पहाड़ी कोरवा जनजाति समुदाय की एक 16 वर्षीय नाबालिग लड़की, उसके पिता और लगभग चार साल की भतीजी को कुछ आरोपियों ने अगवा कर लिया था।
O पिता के सामने ही किया था दुष्कर्म,फिर निर्ममता से की सब की हत्या
पीड़िता का परिवार सतरेंगा निवासी मुख्य आरोपी संतराम मंझवार के यहां मवेशी चराने का काम करता था। घटना वाले दिन, संतराम मंझवार अपने साथियों, अब्दुल जब्बार (विक्की), अनिल कुमार सारथी, परदेशी राम पनिका और आनंद राम पनिका के साथ मिलकर नाबालिग और उसके परिवार को कथित तौर पर मोटरसाइकिल से छोड़ने के बहाने ले गया। रास्ते में, वे कोराई गांव में रुके, जहां संतराम ने शराब पी। इसके बाद सभी आरोपी पीड़ितों को गढ़-उपरोड़ा के पास जंगल से घिरी एक पहाड़ी की तलहटी में ले गए।
वहां, संतराम मंझवार और अब्दुल जब्बार ने नाबालिग लड़की के साथ उसके पिता के सामने सामूहिक दुष्कर्म किया। इस क्रूर कृत्य के बाद, सबूत मिटाने के इरादे से आरोपियों ने नाबालिग लड़की, उसके पिता और छोटी भतीजी तीनों की पत्थरों और लाठियों से पीट-पीटकर निर्मम हत्या कर दी और उनके शवों को जंगल में फेंककर फरार हो गए।
O निचली अदालत ने जनवरी में दी थी फांसी की सजा
पुलिस की त्वरित कार्रवाई और गहन जांच के बाद सभी छह आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। कोरबा की निचली अदालत (फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट) ने इस मामले को “अत्यंत वीभत्स, घृणित, पाशविक और कायरतापूर्ण” अपराध बताया, जिसने समाज की सामूहिक अंतरात्मा को झकझोर दिया था।
जनवरी 2025 में, निचली अदालत ने पांच आरोपियों – संतराम मंझवार, अब्दुल जब्बार, अनिल कुमार सारथी, परदेशी राम पनिका और आनंद राम पनिका – को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302 (हत्या) और 376(2)(G) (सामूहिक दुष्कर्म) सहित पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया और फांसी की सजा सुनाई। छठवें आरोपी, उमांशंकर यादव को चिकित्सीय कारणों के चलते आजीवन कारावास की सजा मिली थी, क्योंकि यह निर्धारित किया गया था कि एक सर्जरी के कारण उसकी अपराध में सक्रिय भूमिका बाधित हुई थी।
O अब जानिए हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दोषियों ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में अपील दायर की थी। लंबी सुनवाई के बाद, छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने 18 जून 2025 को अपना फैसला सुनाया। इस महत्वपूर्ण मामले में चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिंह और जस्टिस बी डी गुरु की डिविजन बेंच ने पांचों दोषियों – संतराम मंझवार, अब्दुल जब्बार, अनिल कुमार सारथी, परदेशी राम पनिका और आनंद राम पनिका – की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया।
O अपराध गंभीर पर दुर्लभतम नहीं
हालांकि हाई कोर्ट ने अपराध की गंभीरता को बरकरार रखा है, लेकिन भारतीय न्याय प्रणाली में फांसी की सजा दुर्लभतम मामलों में ही दी जाती है और अपीलीय अदालतों द्वारा अक्सर इसे आजीवन कारावास में बदल दिया जाता है। इस फैसले के बाद, अब सभी छह दोषी – पांच जिन्हें पहले फांसी की सजा मिली थी और एक जिसे पहले ही आजीवन कारावास मिला था अब अपने शेष जीवन के लिए जेल में रहेंगे।