आओ गर्व करें : यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में भगवत गीता और नाट्यशास्त्र शामिल , पीएम मोदी ने जताई खुशी

OO भगवत गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किया गया. इसको लेकर पीएम मोदी ने खुशी जताई है. उन्होंने इसे दुनिया भर में हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण कहा. केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी इस पर खुशी जताई.

TTN Desk

भारत की दो ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से बेहद अहम कृतियां श्रीमद्भगवद्गीता और नाट्यशास्त्र अब यूनेस्को की ‘Memory of the World Register’ में शामिल हो चुकी हैं। यह सिर्फ भारतीय इतिहास के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा कदम है, क्योंकि ये दोनों ग्रंथ न सिर्फ आध्यात्म और कला की गहराई को दिखाते हैं, बल्कि आज के समय में भी पूरी तरह से रिलेटेबल हैं।

O जीवन के मूलभूत सवालों का है इसमें उत्तर

श्रीमद्भगवद्गीता जीवन के मूल सवालों पर क्लैरिटी देती है जैसे कि हमारा मकसद क्या है, कर्तव्य और कर्म का सही मतलब क्या है। यह ग्रंथ न सिर्फ धार्मिक है, बल्कि एक गाइड है जो आज के कॉम्प्लेक्स दौर में भी इंसान को बैलेंस करने में मदद करता है।

O थिएटर और सिनेमा का ये रेफरेंस प्वाइंट

वहीं, नाट्यशास्त्र भारतीय कला और थिएटर की नींव है। इसमें एक्टिंग, डांस, म्यूजिक, सेट डिजाइन जैसी तमाम चीजों की इतनी डिटेल में जानकारी है कि आज भी यह थिएटर और सिनेमा के लिए रेफरेंस पॉइंट बना हुआ है।

क्या है श्रीमद्भगवद्गीता ?

श्रीमद्भगवद्गीता को शब्दों से बयां करना नामुमकिन है क्योंकि इसको स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है। इसको शब्दों में ऋषि वेद व्यास ने पिरोया है। यह महाभारत युद्ध के प्रारम्भ होने के ठीक पहले भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिए गए उपदेशों को एक बंच है। श्रीमद्भगवद्गीता को हिंदू धर्म का सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है, लेकिन इसकी अहमियत सिर्फ धार्मिक नहीं है। यह ग्रंथ जीवन की गहराइयों को समझने वाला एक बेमिसाल संवाद है, जो महाभारत के युद्ध में अर्जुन और श्रीकृष्ण के बीच हुआ।

गीता के 700 श्लोक एक तरह से माइंड और सोल के बीच बातचीत की तरह हैं। इसमें आत्मा की स्थिरता, जीवन में कर्म के महत्व और हर हाल में अपने कर्तव्य को निभाने की बात की गई है। यही वजह है कि इसे दुनियाभर के थिंकर्स, लीडर्स और मोटिवेशनल स्पीकर्स भी पढ़ते और कोट करते हैं।

O जानिए नाट्यशास्त्र के बारे में…

नाट्यशास्त्र, भरतमुनि द्वारा रचित एक क्लासिक ग्रंथ है, जिसे भारतीय परफॉर्मिंग आर्ट्स की टेक्स्टबुक माना जाता है। इसमें कुल 36 अध्याय हैं और यह एक्टिंग, डांस, म्यूजिक, स्टेज डिजाइन, कॉस्ट्यूम, मेकअप, और दर्शकों की साइकोलॉजी तक के बारे में बताता है।

नाट्यशास्त्र का सबसे इंट्रेस्टिंग हिस्सा इसका ‘रस सिद्धांत’ है, जिसमें बताया गया है कि कैसे कला दर्शकों में अलग-अलग इमोशंस जैसे करुणा, वीरता, हास्य, रौद्र आदि पैदा कर सकती है। यह ग्रंथ सिर्फ एक परफॉर्मेंस गाइड नहीं, बल्कि एक साइकोलॉजिकल और इमोशनल मिरर है, जो आर्टिस्ट और ऑडियंस, दोनों को जोड़ता है।

O भारतीयों के लिए गर्व की बात : मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि भारतीयों के लिए यह गर्व की बात है। यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में गीता और नाट्यशास्त्र को शामिल किया जाना हमारे समृद्ध ज्ञान और सांस्कृतिक धरोहर की वैश्विक स्वीकृति है। गीता और नाट्यशास्त्र ने सदियों तक मानवता की सोच और सभ्यता को आकार दिया है, और उनकी शिक्षाएं दुनिया को लगातार प्रेरित करती रहती हैं।