वायु सेना प्रमुख का सनसनीखेज बयान : रक्षा परियोजनाओं में देरी पर सख्त टिप्पणी, आत्मनिर्भरता पर जोर

OO भारतीय वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने 29 मई 2025 को रक्षा परियोजनाओं में हो रही देरी पर कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने कहा, “डिफेंस प्रोजेक्ट्स में एक भी काम टाइम पर नहीं होता। पता होता है कि डिले होगा, फिर भी वादे करते हैं… पूरा सिस्टम बिगड़ जाता है।”

TTN Desk

CII वार्षिक व्यापार शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए एयर चीफ मार्शल सिंह ने कहा, तेजस एमके1 की डिलीवरी में देरी हो रही है. तेजस एमके2 का प्रोटोटाइप अभी तक रोल आउट नहीं हुआ है. स्टील्थ एएमसीए फाइटर का अभी तक कोई प्रोटोटाइप नहीं है. इस सम्मेलन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद थे.यह पहली बार है जब किसी सेना प्रमुख ने रक्षा खरीद प्रक्रिया की इस तरह खुलकर आलोचना की है। उन्होंने रक्षा मंत्री के सामने यह बयान दिया, जिसमें झूठी समय-सीमाओं और पारदर्शिता की कमी पर गंभीर चिंता जताई गई।

O आत्मनिर्भरता पर जोर, भारतीय उद्योग पर भरोसा जताया

एयर चीफ मार्शल सिंह ने आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को रक्षा क्षेत्र के लिए एकमात्र समाधान बताया। उन्होंने कहा, “ऐसा समय था जब हमें भारतीय उद्योग पर भरोसा नहीं था कि वो हमारी जरूरत के मुताबिक प्रोडक्ट दे पाएंगे। इसलिए हम ज्यादातर बाहर की ओर देखते थे।” लेकिन अब, ऑपरेशन सिंदूर जैसे सफल अभियानों के बाद, उन्होंने भारतीय उद्योग की क्षमता पर विश्वास जताया और भविष्य के लिए तैयार रहने की आवश्यकता पर बल दिया।

O ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र, युद्धकला में तकनीक की भूमिका

वायु सेना प्रमुख ने हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए कहा कि यह अभियान भारतीय वायु सेना की ताकत और कमजोरियों को दर्शाता है। उन्होंने बताया, “युद्धकला तेजी से विकसित हो रही है – तकनीक युद्ध के मैदान को फिर से परिभाषित कर रही है।” ऑपरेशन सिंदूर, जिसमें भारत ने 7 मई 2025 को पाकिस्तान में 9 आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए, ने वायु सेना की रणनीतिक क्षमता को प्रदर्शित किया। सिंह ने कहा कि इस अभियान ने सेना को अपनी मानसिकता और रणनीति को आधुनिक बनाने की दिशा दिखाई।

O रक्षा खरीद में पारदर्शिता और समयबद्धता की मांग

एयर चीफ मार्शल सिंह ने रक्षा खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता और समयबद्धता की कमी को प्रमुख मुद्दा बताया। उन्होंने सवाल उठाया, “हम ऐसा वादा क्यों करते हैं जो पूरा नहीं हो सकता?” यह टिप्पणी लड़ाकू विमानों और अन्य रक्षा उपकरणों की डिलीवरी में बार-बार होने वाली देरी के संदर्भ में थी। उन्होंने रक्षा मंत्रालय और संबंधित विभागों से इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने की अपील की।

O भविष्य की रणनीति और तकनीकी उन्नयन पर फोकस

वायु सेना प्रमुख ने भविष्य के युद्धों के लिए तकनीकी उन्नयन और प्रशिक्षण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय वायु सेना को न केवल तकनीक के क्षेत्र में बल्कि रणनीतिक सोच में भी मजबूत होना होगा। ऑपरेशन सिंदूर के अनुभवों के आधार पर, सिंह ने वायु सेना की मानसिकता को और आधुनिक बनाने की बात कही, ताकि भविष्य की चुनौतियों का सामना किया जा सके।

O क्या है अर्थ..?

एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह का यह बयान रक्षा क्षेत्र में सुधारों की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करता है। उनकी खुली आलोचना और आत्मनिर्भरता पर जोर न केवल रक्षा मंत्रालय के लिए बल्कि पूरे सिस्टम के लिए एक जागरूकता का संदेश है। ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों ने भारतीय वायु सेना की ताकत को तो दर्शाया, लेकिन साथ ही समयबद्धता और पारदर्शिता जैसे मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत को भी उजागर किया।