OO अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस पर इस्तीफे का भारी दबाव; सेना और राजनीतिक दल चाहते हैं दिसंबर तक चुनाव; देश एक बार फिर अस्थिरता के मुहाने पर।
TTN Desk
ढाका, बांग्लादेश: बांग्लादेश इन दिनों गंभीर राजनीतिक गतिरोध और अनिश्चितता के दौर से गुजर रहा है। पिछले साल अगस्त में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद से अंतरिम सरकार चला रहे नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस की कुर्सी खतरे में नजर आ रही है। सेना और प्रमुख राजनीतिक दलों, विशेषकर बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP), द्वारा दिसंबर 2025 तक आम चुनाव कराने की बढ़ती मांग ने यूनुस सरकार पर भारी दबाव डाल दिया है।
O क्या मोहम्मद यूनुस ने इस्तीफा दे दिया है?
हाल के दिनों में ऐसी खबरें जोर पकड़ रही थीं कि मोहम्मद यूनुस देश की वर्तमान स्थिति से निराश होकर और अपने कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से न निभा पाने के कारण इस्तीफे पर विचार कर रहे हैं। उनके एक प्रमुख सहयोगी ने भी इस बात का संकेत दिया था।
हालांकि, ताजा जानकारी के अनुसार, मोहम्मद यूनुस ने अभी इस्तीफा नहीं दिया है। उनके मंत्रिमंडल के सलाहकार, वहीदुद्दीन महमूद ने पिछले शनिवार को स्पष्ट किया कि यूनुस अपने पद पर बने रहेंगे। महमूद ने कहा कि यूनुस को काम करने में बाधाएं आ रही हैं, लेकिन वे उन पर काबू पा रहे हैं और अपनी जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हटेंगे।
फिर भी, उनके इस्तीफे की चर्चा इतनी तेज इसलिए हुई क्योंकि यूनुस खुद को राजनीतिक रूप से घिरा हुआ पा रहे हैं और बिना राजनीतिक समर्थन के बड़े सुधारों को लागू करने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं।
बांग्लादेश में राजनीतिक हालात की मुख्य बातें:
* चुनाव को लेकर गतिरोध: सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान ने सार्वजनिक रूप से दिसंबर तक आम चुनाव कराने की मांग की है। उनका तर्क है कि देश का भविष्य तय करना केवल एक चुनी हुई सरकार का हक है। बीएनपी और अन्य राजनीतिक दल भी दिसंबर तक चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं, जबकि यूनुस सरकार अभी चुनाव के लिए तैयार नहीं दिख रही है और संवैधानिक सुधारों पर काम कर रही है।
* सेना और सरकार के बीच तनाव:
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मोहम्मद यूनुस और बांग्लादेशी सेना के बीच तनाव बढ़ रहा है। सेना, अंतरिम सरकार द्वारा किए जा रहे “मनमाने” सुधारों और देश में बढ़ती अराजकता से खुश नहीं है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि बांग्लादेश एक बार फिर तख्तापलट की स्थिति के करीब पहुंच रहा है।
* यूनुस पर बढ़ते आरोप:
यूनुस सरकार पर देश में हिंसा, चोरी और अल्पसंख्यक विरोधी घटनाओं पर कार्रवाई न करने के आरोप लग रहे हैं। साथ ही, कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, यूनुस ने खुद को बचाने के लिए भारत के खिलाफ बयानबाजी शुरू कर दी है, यह आरोप लगाते हुए कि बांग्लादेश में मौजूदा संकट भारतीय आधिपत्य को फिर से स्थापित करने की साजिश का परिणाम है।
* रोहिंग्या शरणार्थी कॉरिडोर की चुनौती:
संयुक्त राष्ट्र द्वारा रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए “मानवीय गलियारा” बनाने का प्रस्ताव भी एक नया क्षेत्रीय विवाद पैदा कर सकता है, जिससे बांग्लादेश की स्थिति और जटिल हो रही है।
* अंतरिम सरकार की भूमिका पर सवाल:
बीएनपी का तर्क है कि अंतरिम सरकार का काम केवल चुनाव होने तक अस्थायी रूप से शासन करना है, न कि बड़े सुधारों को लागू करना। यूनुस सरकार द्वारा किए जा रहे सुधारों पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
O गंभीर है राजनीतिक संकट
कुल मिलाकर, बांग्लादेश एक गंभीर राजनीतिक उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है। मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार पर चुनाव कराने का दबाव बढ़ रहा है, और सेना तथा राजनीतिक दलों के बीच अविश्वास की स्थिति बनी हुई है, जिससे देश में अस्थिरता का माहौल है।