कोरबा।धर्मनिष्ठ, सरल, सौम्य, उदारमना, समाजसेवी सुश्रावक श्री रानुलाल बोहरा का 82 वर्ष की आयु में संथारा (समाधीमरण) 16 मई शुक्रवार को ब्रह्म मुहूर्त में सीज गया है।
जिनकी बैकुंठी यात्रा शुक्रवार की सुबह ८.३० बजे वर्धमान ज्वेलर्स के निवास स्थान ट्रांसपोर्ट नगर से कोरबा मुक्तिधाम पहुंची,जहां उन्हें अंतिम विदाई दी गई।इस अवसर पर बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक,स्वजातीय बंधु,मित्र,परिजन उपस्थित थे।
O धार्मिक,सामाजिक कार्य है प्रेरणापूर्ण
स्व रानूलाल जैन को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके द्वारा समाज सेवा तथा धार्मिक कार्यों में विशाल हृदय एवं मुक्त हस्त से दिए गए सहयोग को याद कर उसे समाज के लिए प्रेरणापूर्ण बताया गया।वे वर्धमान ज्वेलर्स कोरबा एवं निहारिका के संचालक थे।उनके तीन पुत्र महेन्द्र, धर्मेन्द्र एवं कोमल है। वे अपने पीछे भरापूरा परिवार छोड़ गये हैं।
O क्या होता है संथारा..?
संथारा जैन धर्म की एक धार्मिक प्रथा है जिसे सल्लेखना भी कहा जाता है. यह एक स्वेच्छा से मृत्यु तक उपवास की प्रक्रिया है, जो आमतौर पर तब की जाती है जब व्यक्ति को लगता है कि वह बुढ़ापे, बीमारी या किसी अन्य कारण से अपने जीवन के अंत की ओर है. संथारा को जैन धर्म में एक पवित्र अनुष्ठान माना जाता है और इसे मृत्यु से एक नए जीवन की शुरुआत के रूप में देखा जाता है. संथारा की प्रक्रिया में धीरे-धीरे भोजन और पानी का त्याग शामिल होता है. संथारा लेने से पहले व्यक्ति को परिवार और समुदाय की सहमति लेनी होती है.j