श्री श्री रविशंकर के ‘सोमनाथ शिवलिंग अवशेष’ दावे पर बवाल, शंकराचार्यों और सोमनाथ ट्रस्ट ने उठाए सवा
OO श्री श्री रविशंकर के दावे पर शंकराचार्यों और सोमनाथ ट्रस्ट ने उठाए सवाल, सनातन धर्म में बहस
TTN Desk
सोमनाथ (गुजरात)। आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर द्वारा सोमनाथ मंदिर के मूल शिवलिंग के अवशेष मिलने और उन्हें फिर से स्थापित करने के दावे ने सनातन धर्म जगत में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। उनके इस बयान पर सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट और देश के प्रमुख शंकराचार्यों, संतों और महंतों ने कड़ी आपत्ति जताई है।
वैज्ञानिक प्रमाण लाए श्री श्री ,ये उनका निजी विचार : ट्रस्ट
सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट ने श्री श्री रविशंकर के इस दावे को उनका “निजी विचार” बताया है। ट्रस्ट का कहना है कि वे बिना किसी पुख्ता वैज्ञानिक प्रमाण के किसी भी “चुंबकीय पत्थर” को शिवलिंग का टुकड़ा नहीं मान सकते। ट्रस्ट ने श्री श्री रविशंकर से उनके पास मौजूद कथित अवशेषों के संबंध में ठोस सबूत पेश करने को कहा है, ताकि इस मामले में आगे कोई निर्णय लिया जा सके।
O “अधूरे शिवलिंग की पूजा कैसे?”: शंकराचार्यों ने श्री श्री के दावे को आस्था पर प्रहार बताया
देश के कई शंकराचार्यों, संतों और महंतों ने श्री श्री रविशंकर के इस दावे का पुरजोर विरोध किया है। उनका तर्क है कि यदि श्री श्री के पास शिवलिंग के टुकड़े हैं, तो इसका अर्थ यह होगा कि वर्तमान में सोमनाथ मंदिर में स्थापित शिवलिंग “पूर्ण” नहीं है, और एक “अधूरे शिवलिंग” की पूजा कैसे की जा सकती है। उन्होंने कहा कि यह करोड़ों सनातन भक्तों की आस्था का विषय है और इस तरह के दावों से उनकी भावनाओं को ठेस पहुंच रही है।ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का कहना है कि श्रीश्री रविशंकर ने अब तक इस बारे में बात क्यों नहीं की? द्वारका शारदापीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती ने कहा- ज्योतिर्लिंग स्वयंभू है और इसे दोबारा प्रतिष्ठित करने की आवश्यकता नहीं है। वहीं, हरिगिरि महाराज ने कहा- ज्वाला को कभी खंडित नहीं किया जा सकता, इसलिए इसे पुनः स्थापित करने का प्रश्न ही नहीं उठता। शिव उपासक निजानंद स्वामी ने कहा कि 1000 साल पुराने सोमनाथ शिवलिंग के टुकड़े किसी के पास होना संभव नहीं है। सोमनाथ ट्रस्ट के ट्रस्टी पीके लाहिड़ी ने कहा कि इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि ये टुकड़े मूल शिवलिंग के हैं या नहीं।
Oमहमूद गजनवी द्वारा तोड़े गए शिवलिंग के अवशेषों पर दावा
श्री श्री रविशंकर ने दावा किया है कि उनके पास सोमनाथ शिवलिंग के चार हिस्से हैं, जो महमूद गजनवी द्वारा करीब 1000 साल पहले मंदिर पर आक्रमण कर शिवलिंग को तोड़े जाने के बाद कुछ अग्निहोत्री ब्राह्मणों द्वारा सुरक्षित रखे गए थे। उनका कहना है कि ये टुकड़े उन्हें हाल ही में महाकुंभ के दौरान एक पुजारी, सीताराम शास्त्री, से मिले हैं, जिनके परिवार ने इन अवशेषों को पीढ़ियों से संरक्षित रखा था। श्री श्री का यह भी दावा है कि इन टुकड़ों में अब भी चुंबकीय गुण हैं।
OO श्री श्री रविशंकर ने क्या बताया?
वहीं श्री श्री रविशंकर के दावे के मुताबिक, ये अवशेष एक हजार साल पहले तोड़े गए सोमनाथ मंदिर के शिवलिंग के हैं. 1000 साल पहले सोमनाथ मंदिर को तोड़ा गया था. हमले में सोमनाथ मंदिर का शिवलिंग भी टूट गया था. शिवलिंग जमीन पर नहीं था, हवा में ही रहता था. टूटे शिवलिंग के टुकड़े को कुछ लोग लेकर चले गए थे. कुछ संत और अग्निहोत्री समाज के लोग इसे लेकर गए थे. शिवलिंग के टुकड़े को वो लोग दक्षिण भारत ले गए थे.
दक्षिण भारत में उस टुकड़े को शिवलिंग का रूप दिया. 1924 तक परिवार उस शिवलिंग की पूजा करता रहा. 1924 में कांची शंकराचार्य ने परिवार को निर्देश दिया. 100 साल तक शिवलिंग को बाहर नहीं लाने को कहा. तब तक ये घर में ही शिवलिंग की पूजा करते रहे. अब फिर उनको शंकराचार्य ने बताया तो वो यहां ले आए हैं. अब 2025 में शिवलिंग के उन टुकड़ों को सौंप दिया. ये वो शिला है, जिसमें मैग्नेट लग रहा है
O राम मंदिर निर्माण के बाद सामने लाने कहा था शंकराचार्य ने : दावा
1026 ई. में अपने अंतिम आक्रमण में उसने शिवलिंग को तोड़ दिया। शिवलिंग जमीन में नहीं, बल्कि हवा में था। इस विनाश से दुखी कुछ अग्निहोत्री ब्राह्मणों ने गुप्त रूप से खंडित शिवलिंग का पवित्र टुकड़ा ले लिया। इसके बाद अग्निहोत्री पुजारी इस शिवलिंग के टुकड़ों को लेकर दक्षिण भारत के तमिलनाडु गए, जहां इन टुकड़ों को छोटे शिवलिंग का रूप दिया गया। 1924 तक अग्निहोत्री पुजारियों की एक पीढ़ी इस शिवलिंग की पूजा करती रही। उन्होंने कहा कि वर्ष 1924 में संत प्रणवेन्द्र सरस्वती इन अंशों को कांचीपुरम के तत्कालीन शंकराचार्य स्वामी चंद्रशेखरेन्द्र सरस्वती के पास ले गए थे। तब शंकराचार्य ने उन्हें निर्देश दिया कि इसे कुछ समय तक छिपाकर रखें और जब राम मंदिर बन जाए, तब इसे प्रकट करें। इसके बाद शिवलिंग के पवित्र भाग अग्निहोत्री ब्राह्मण पंडित सीताराम शास्त्री के संरक्षण में आ गए। इसके बाद पंडित सीताराम शास्त्री ने कांचीपुरम के वर्तमान शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती से मार्गदर्शन मांगा। जहां शंकराचार्य ने कहा था कि बेंगलुरु में एक संत हैं, गुरुदेव श्री श्री रविशंकर। यह अंश उनके पास ले जाओ। शंकराचार्य के निर्देश का पालन करते हुए पंडित सीताराम शास्त्री के परिवार ने शिवलिंग के कुछ हिस्से मुझे सौंप दिए।
O पुनः स्थापित के पहले शोभायात्रा निकालेंगे
श्री श्री रविशंकर ने कहा था कि इस शिवलिंग के हिस्सों को सोमनाथ मंदिर में पुनः स्थापित करने से पहले अयोध्या समेत देश के धार्मिक स्थलों के मार्ग पर एक शोभायात्रा निकाली जाएगी। प्रधानमंत्री मोदी सोमनाथ मंदिर की पुनर्स्थापना की तारीख तय करेंगे। श्री श्री रविशंकर ने कहा कि ये टुकड़े पीढ़ियों से संरक्षित थे और अब सही समय पर इन्हें उनके स्थान पर स्थापित किया जाएगा। यह सिर्फ इतिहास के एक टुकड़े को पुनर्जीवित करने का मामला नहीं है। यह आयोजन सनातन संस्कृति और आध्यात्म के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने इसे चमत्कार नहीं माना और इसे सनातन धर्म की शक्ति बताया।
O प्राचीन परंपरा और “पुनर्प्रतिष्ठा” की चुनौती
कुछ रिपोर्टों के अनुसार, श्री श्री रविशंकर ने इन अवशेषों को फिर से सोमनाथ मंदिर में स्थापित करने की बात कही है। हालांकि, शंकराचार्यों और अन्य धार्मिक विद्वानों का मानना है कि एक बार तोड़े गए और खंडित हो चुके शिवलिंग को फिर से उसी रूप में स्थापित करना शास्त्र सम्मत नहीं है। इस दावे ने “पुनर्प्रतिष्ठा” और खंडित प्रतिमाओं की पूजा को लेकर सनातन धर्म में पुरानी बहस को फिर से जन्म दे दिया है।