देखिए तस्वीरें…कोरबा : “सिंदूर खेला” के साथ दी गई मातारानी को बिदाई,जानिए क्या होती है यह रस्म और क्या है इसका महत्व

TTN Desk

कोरबा और उपनगरीय क्षेत्र के दुर्गा पूजा पंडालों में, महिलाओं ने देवी माँ दुर्गा को विदाई देने से पहले सिंदूर खेला की रस्म को बड़े उल्लास से अदा किया।

0 सिंदूर खेला का महत्व

सिंदूर खेला खास तौर पर विवाहित बंगाली महिलाओं द्वारा देवी दुर्गा की मूर्ति विसर्जन से ठीक पहले किया जाता है।हालांकि अब इस आयोजन में सभी वर्ग की महिलाएं भी भाग ले पुण्य लाभ प्राप्त कर रही है।

0 देवी की विदाई (बोरोन)

महिलाएँ सबसे पहले देवी दुर्गा को पान के पत्ते, मिठाई और सिंदूर चढ़ाकर उनकी विदाई करती हैं। यह इस बात का प्रतीक है कि वे देवी को उनके मायके (पृथ्वी लोक) से उनके ससुराल (कैलाश पर्वत) के लिए आशीर्वाद के साथ विदा कर रही हैं।

0 वैवाहिक सुख का प्रतीक

इसके बाद, महिलाएँ एक-दूसरे के चेहरे और हाथों पर उल्लासपूर्वक सिंदूर लगाती हैं। यह रस्म एक-दूसरे को अखंड सौभाग्य और पति की लंबी उम्र के लिए आशीर्वाद देने का प्रतीक है।

0 सौहार्द और बंधन

यह अनुष्ठान महिलाओं के बीच बहनचारे, एकता और सामुदायिक भावना का जश्न है। लाल सिंदूर वातावरण में खुशी और उल्लास भर देता है।
यह उत्सव बुराई पर अच्छाई की जीत और देवी दुर्गा के अपने भक्तों के बीच रहने के बाद वापस जाने का प्रतीक है।