0 वजह बताते हुए नेतृत्व पर हमला और कहा कि “वर्तमान सत्ता के लिए नहीं आए थे पार्टी में”
TTN डेस्क
गुवाहाटी, असम। असम में भारतीय जनता पार्टी को एक बड़ा और अप्रत्याशित झटका लगा है। पार्टी के दिग्गज नेता, चार बार के सांसद, और पूर्व केंद्रीय रेल राज्य मंत्री राजेन गोहाईं ने 17 अन्य नेताओं के साथ भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया है।
यह इस्तीफ़ा असम भाजपा के लिए सत्ता में आने के बाद का सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है।
0 विचारधारा पर सत्ता का लालच भारी!
आजीवन भाजपा कार्यकर्ता रहे राजेन गोहाईं ने अपने इस्तीफ़े के पीछे मुख्य कारण पार्टी की बदलती विचारधारा और सत्ता के लालच को बताया है। उनका सीधा निशाना मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और पार्टी नेतृत्व पर है।
इस्तीफ़े की घोषणा करते हुए, गोहाईं ने एक तीखा बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा:
> “हम इस पार्टी में उन लोगों के लिए शामिल नहीं हुए थे जो वर्तमान में सत्ता में बैठे हैं। हम अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और अन्य वरिष्ठ नेताओं से प्रेरित होकर आए थे।”
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यह बयान स्पष्ट रूप से मौजूदा नेतृत्व पर वैचारिक रूप से भटकने और मूल सिद्धांतों से समझौता करने का आरोप लगाता है। गोहाईं की नाराज़गी मुख्य रूप से हिमंत बिस्वा सरमा सहित उन तमाम कांग्रेसियों को भाजपा में शामिल करने पर रही है, जिन पर उन्होंने आरोप लगाया कि वे केवल सत्ता के लिए आए हैं और पार्टी की विचारधारा को कमज़ोर कर रहे हैं।
0 परिसीमन को लेकर भी नाराजगी
राजेन गोहाईं, जो अहोम समुदाय से आते हैं, ने पार्टी छोड़ने का एक और बड़ा कारण 2023 के परिसीमन को बताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस परिसीमन से अहोम जैसे “मूल निवासी” समुदायों का राजनीतिक प्रभाव कम हो गया है। गोहाईं ने कहा कि असम विधानसभा की लगभग 30-40 सीटें कभी अहोम समुदाय द्वारा तय की जाती थीं, लेकिन अब ऐसा नहीं रहा।
उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए यहाँ तक कहा कि अब भाजपा “असमिया लोगों की सबसे बड़ी दुश्मन” बन गई है।
गोहाईं का इस्तीफ़ा, जो असम भाजपा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं, राज्य में आगामी चुनावों से पहले पार्टी के भीतर वैचारिक असंतोष और नेतृत्व की नीतियों पर बढ़ते सवालों को उजागर करता है।