00 एसईसीएल अपने कर्मचारी व अधिकारियों के लिए कोरबा जिला स्थित गेवरा और दीपका कोयला क्षेत्र में बना रहा है महानगरों जैसे 23 टॉवर ,जिसमें होंगे 686 फ्लैट
00 चौंकाने वाली बात यह कि खदान प्रभावित क्षेत्र बता कर कोरबा में नहीं दी जाती ऐसी बहुमंजिला इमारत बनाने की परमिशन,औद्योगिक उपक्रमों को मनमानी छूट
00 जमीन के टोटे वाले कोरबा शहर में बिल्डरों को मिले बहुमंजिला इमारतों की अनुमति तो आम लोगों को फ्लैट की महंगी कीमतों में मिलेगी राहत
।।*मनोज यू शर्मा*।।
कोरबा। खबर के साथ दी इन बहुमंजिला इमारतों की तस्वीरों को देख कर चौंकिएगा नहीं।जी हां,ये हमारे अपने जिले के एसईसीएल गेवरा और दीपका क्षेत्र की है राजधानी रायपुर या किसी और बड़े शहर की नहीं।एसईसीएल अपने अधिकारी और कर्मचारियों के लिए ये 6 से 8 मंजिला टॉवर बना रहा है,जिसमें पार्किंग भू तल पर अतिरिक्त है।यूं कहा जा सकता है कि 9 मंजिला इमारतें है।ऐसी कॉलोनी एसईसीएल द्वारा पहली बार बनवाई जा रही है। चौंकाने वाली बात ये है कि शासन द्वारा इससे पहले कोरबा जिला में केवल ग्राउंड पार्किंग + 5 मंजिल निर्माण की ही अनुमति खदान क्षेत्र होने का हवाला दे कर दी जाती रही है।बताया गया है कि ऐसे निर्माण में जमीन की विशालता का हवाला दे कर फ्लोर एरिया (एफआरए) अनुपात को तय किया गया है।ऐसा ही झोल ले कर बिलासपुर संभाग में बालको द्वारा बनाए जा रहे सबसे ऊंचे रिहायशी भवन के लिए पार्किंग + 9 मंजिला टॉवर की अनुमति दी गई है।
0 6,7 और 8 मंजिला इमारतों में ए,बी, डी टाइप के कुल 686 फ्लैट
एक एसईसीएल अधिकारी के मुताबिक सीजीएम कार्यालय के पास शक्ति नगर में 12 टावर का निर्माण तेजी से हो रहा है।प्रत्येक में पार्किंग और 8 मंजिल होगी।हर फ्लोर पर चार चार B टाइप फ्लैट होंगे।कुल 373 फ्लैट होंगे।बारहवें टॉवर में केवल 11 फ्लैट ही होंगे।
वहीं दीपका क्षेत्र के प्रगति नगर गेस्ट हाउस के पास 11 टावर बन रहे है।जिसमें ए टाइप के फ्लैट वाले 6 टावर जो कि 6,7 और 8 मंजिल के होंगे। बी टाइप के फ्लैट वाले 4 टॉवर 7 और 8 मंजिल के होंगे वहीं एक टॉवर डी टाइप फ्लैट का 6 मंजिला होगा।यू यहां कुल 313 फ्लैट 11 टावर में बनेंगे।
0 बड़ा सवाल खदान क्षेत्र का या फिर बड़े भूखण्ड का होना महत्वपूर्ण
अब बड़ा सवाल यही है कि महत्वपूर्ण खदान क्षेत्र होने का विषय है या फिर निर्माण से लगे विशाल भूखंड का। ये मान भी लिया जाय कि बालको खदान क्षेत्र से दूर है किन्तु दीपक गेवरा में बन रही बहुमंजिला इमारतें तो साफ साफ खदान की पेरी फेरी में है।वो भी एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदान के मुहाने से एक डेढ़ किलोमीटर के फासले पर इन टावरों का निर्माण हो रहा है,यह अपने आप में चौंकाने वाली बात है।इसका निर्माण सीएमपीडीआई की देखरेख में होना बताया गया है।
0 निर्माण की अनुमति ही नहीं ली गई
जब इस निर्माण की अनुमति के संबंध में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग कोरबा के डिप्टी डायरेक्टर गणेश राम तूरकाने से पूछा गया तब उन्होंने कहा कि वे वर्जन देने के लिए अधिकृत नहीं है ,आप इस संबंध में रायपुर डायरेक्टर से जानकारी ले लीजिए। यूं उन्होंने तो कोई जानकारी नहीं दी किन्तु हमारे सूत्रों ने बताया कि यहां कोरबा के किसी भी संबंधित कार्यालय से कोई अनुमति नहीं ली गई है,न ही इस संबंध में कोई आवेदन ही प्राप्त नहीं हुआ है।
0 क्या है नियम..?
नियमानुसार 33 मीटर तक भवन निर्माण लो राइज बिल्डिंग कैटेगरी में आता है ,जिसकी निर्माण अनुमति संबंधित जिले के टाउन एंड कंट्री विभाग से मिलती है,जिसके लिए डिप्टी डायरेक्टर अधिकृत है।वही उससे अधिक ऊंचाई के भवन निर्माण के लिए राज्य कार्यालय को अधिकार है किन्तु इसके लिए भी कलेक्टर की अध्यक्षता में कमिटी जांच कर रिपोर्ट देती है।जिसमें संबंधित नगरीय निकाय,राजस्व विभाग,अग्निशमन विभाग सहित अन्य विभाग के सदस्य होते है।यहां बन रहे ये मल्टी स्टोरी टावर लो राइज केटेगरी में आते है मगर कोरबा स्थित विभागीय कार्यालय से अनुमति तो दूर उस हेतु आवेदन तक नहीं दिया गया है।जाहिर है निजी हो या शासकीय सार्वजनिक उपक्रम उनके लिए तमाम नियम कानून की अनदेखी की जा रही है।