जनकवि केदार सिंह परिहार का निधन, छत्तीसगढ़ ने खोया अपनी माटी का सच्चा कवि

​00 सीएम विष्णुदेव साय, डिप्टी सीएम अरुण साव,सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने जताया शोक

0’छत्तीसगढ़ ल छांव करे बर…’ आज भी हर घर में गूंजती है उनकी रचना

TTN Desk

​रायपुर।छत्तीसगढ़ की मिट्टी की खुशबू और यहाँ के लोकजीवन की सादगी को अपनी रचनाओं में पिरोने वाले जनकवि केदार सिंह परिहार का आज सुबह निधन हो गया। उनके निधन से न केवल उनका परिवार, बल्कि पूरा साहित्यिक और सांस्कृतिक जगत शोकाकुल है। उनकी कालजयी पंक्ति- ‘छत्तीसगढ़ ल छांव करे बर मंय छानही बन जातेंव’ आज भी प्रदेश के हर घर में गूंजती है।

0 ​साहित्यिक और राजनीतिक जगत ने दी श्रद्धांजलि

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने ट्वीट कर परिहार जी के निधन को ‘बड़ दु:खद’ बताया। उन्होंने लिखा, “अइसन अंतस के गीत लिखइया… के देवलोक गमन के समाचार बड़ दु:खद हवय।” उन्होंने आगे कहा कि परिहार जी के अवसान से साहित्य जगत सूना हो गया है।
​उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने भी शोक व्यक्त करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की आत्मा को अपने शब्दों में पिरोने वाले लोक गायक और भाजपा के वरिष्ठ नेता केदार सिंह परिहार जी का जाना हम सबके लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने कहा कि अपने भावनात्मक गीतों से उन्होंने छत्तीसगढ़वासियों के दिलों में जगह बनाई।
​सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने भी अपनी पोस्ट में उन्हें “अश्रुपूरित श्रद्धांजलि” देते हुए कहा कि उनकी कालजयी पंक्तियाँ “छत्तीसगढ़ ल छांव करे बर… मैं छानही बन जातेंव” केवल कविता नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की आत्मा की आवाज है।

0 ​जीवन परिचय

केदार सिंह परिहार का जन्म 7 मार्च 1952 को मुंगेली जिले के पलानसरी गांव में हुआ था। उन्होंने मुंगेली से बीएम और जांजगीर से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। उनकी रचना ‘छत्तीसगढ़ ल छांव करे बर…’ 1972 में लिखी गई थी, जो एक लोकगीत की तरह प्रदेश की धड़कनों में बस गई। उन्होंने 400 से अधिक गीत और कविताओं की रचना की। इसके अलावा, उन्होंने ‘किसान-मितान’ और ‘इही हे राम कहानी’ जैसी फिल्मों के लिए भी गीत लिखे।

0 ​सामाजिक और राजनीतिक योगदान

साहित्य के अलावा, परिहार जी समाज और राजनीति में भी सक्रिय रहे। वह ग्राम पंचायत टिंगीपुर के दो बार सरपंच रहे और मुंगेली कृषि उपज मंडी बोर्ड के अध्यक्ष भी चुने गए। उन्होंने छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के सदस्य के रूप में छत्तीसगढ़ी भाषा के व्याकरण निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।