देखिए वीडीओ…उमड़ा जनसागर : ​नागपुर के 140 साल पुराने अनोखे उत्सव में जानिए क्या है खास…

00 तान्हा पोला के दौरान, मूलतः बुराई का प्रतीक माने जाने वाले ‘मारबत’ और ‘बड़ग्या’ का जुलूस नागपुर में आज शनिवार को निकला है। काले और पीले रंग के इन पुतलों को पिवली (पीला) और काली (काला) मारबत कहा जाता है। इन पुतलों को इतवारी और पूर्वी नागपुर की गलियों से होते हुए 10 किलोमीटर तक जुलूस जायेगा और फिर उन्हें जलाया जाएगा। ऐसा माना जाता है कि इन पुतलों के दहन से सारी नकारात्मकता जलकर नष्ट हो जाती है।
प्रतिवर्ष के जैसे ही इस बार भी मारबत उत्सव के लिए जनसागर शहर की सड़कों पर उमड़ पड़ा है।

TTN Desk

नागपुर ।​क्या आपने कभी किसी ऐसे त्योहार के बारे में सुना है जहाँ बुराई और नकारात्मकता को प्रतीकात्मक रूप से जलाकर खत्म किया जाता है? नागपुर में हर साल, एक अनूठा और 135 साल पुराना त्योहार मनाया जाता है जिसे मारबत कहते हैं। यह सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि सामाजिक बुराइयों, बीमारियों और गुलामी के खिलाफ लोगों के गुस्से और आशा का प्रतीक है।

0​मारबत क्या है?

​मारबत मुख्य रूप से दो विशाल पुतलों का उत्सव है: काली मारबत (काले रंग की) और पीवली मारबत (पीले रंग की)। इन पुतलों को बांस और कागज से बनाया जाता है। इन्हें नागपुर की सड़कों पर एक लंबे जुलूस में घुमाया जाता है और अंत में जला दिया जाता है। लोगों का मानना है कि इन पुतलों के साथ सारी नकारात्मकता, दुख और सामाजिक बुराइयाँ भी जलकर खत्म हो जाती हैं। जुलूस के दौरान लोग ‘इडा, पीड़ा घेऊँ जा गे मारबत’ का मंत्रोच्चार करते हैं, जिसका अर्थ है, “सामाजिक बुराइयों और मानवीय दुखों को दूर करो, हे मारबत।”

0 ​मारबत का इतिहास और उसका प्रतीकवाद

​यह उत्सव 1880 के दशक में ब्रिटिश शासन के विरोध में शुरू हुआ था। हर मारबत एक अलग ऐतिहासिक और सामाजिक प्रतीक को दर्शाती है:

​काली मारबत: यह भोंसला रानी बांकाबाई का प्रतीक मानी जाती है, जिन्होंने ब्रिटिश सत्ता के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। यह लोगों के उस समय के गुस्से को दर्शाता है।

​पीवली मारबत: यह सिर्फ ब्रिटिश शासन का ही नहीं, बल्कि उस समय फैली महामारियों और बीमारियों का भी प्रतीक है, जिन्होंने लोगों के जीवन को बहुत प्रभावित किया था।
​समय के साथ, इस त्योहार में और भी चीजें शामिल होने लगी हैं। अब इसमें बैज्या या शुभंकर भी होते हैं, जो हर साल समाज की नई बुराइयों जैसे- शराबखोरी, महंगाई और भ्रष्टाचार को दर्शाते हैं।

0 ​जुलूस और इसका महत्व

​मारबत का जुलूस इतवारी और पूर्वी नागपुर की गलियों से होते हुए लगभग 10 किलोमीटर की दूरी तय करता है। यह एक जीवंत और ऊर्जा से भरा हुआ जुलूस होता है जिसमें लोग नाचते-गाते हैं। पीवली मारबत तरहाने तेली समुदाय द्वारा बनाई जाती है, जबकि काली मारबत नेहरू पुतला चौक के पास के दुकानदार बनाते हैं।
​यह उत्सव मई के महीने में शुरू होता है और पुतलों के दहन के साथ समाप्त होता है। मारबत अब सिर्फ एक विरोध का प्रतीक नहीं, बल्कि नागपुर की एक विशेष सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान बन गया है, जो लोगों को एक साथ लाता है और उन्हें एक बेहतर भविष्य की उम्मीद देता है।