00रूस के सस्ते कच्चे तेल से आम लोगों को नहीं, तेल कंपनियों और सरकार को हुआ फायदा,रिलायंस को सबसे ज्यादा मुनाफा
रूस से भारत को सस्ता तेल(क्रूड ऑयल),मिल रहा है लेकिन आम लोगों को राहत नहीं मिली है। दैनिक भास्कर डिजिटल की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले तीन सालों से भारत रूस से 5 से 30 डॉलर प्रति बैरल की छूट पर कच्चा तेल आयात कर रहा है। यह कदम वैश्विक तेल संकट के दौरान भारत के लिए एक बड़ी राहत माना गया था। लेकिन इस सस्ते तेल का लाभ आम लोगों तक नहीं पहुंचा। पेट्रोल और डीजल की कीमतें आज भी पहले जैसी ऊंची बनी हुई हैं।
0 तेल कंपनियों की बढ़ी कमाई
रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि तेल कंपनियों ने इस अवसर का भरपूर फायदा उठाया। उनकी कमाई पिछले तीन सालों में 25 गुना तक बढ़ गई है। सस्ते कच्चे तेल की लागत को कम करने के बावजूद, कंपनियों ने खुदरा कीमतों में कोई कमी नहीं की, जिससे उनका मुनाफा अंधाधुंध बढ़ा।
0 तेल कमानियों को मिले फायदे में रिलायंस को मिला सबसे ज्यादा लाभ
विभिन्न स्रोतों के अनुसार, रूस से सस्ते तेल से भारत की तेल कंपनियों (निजी और सरकारी दोनों) को कुल मिलाकर लगभग 1.33 लाख करोड़ रुपये (लगभग 16 अरब डॉलर) का फायदा हुआ है, जिसमें रिलायंस का हिस्सा सबसे बड़ा है।उपलब्ध जानकारी के अनुसार तेल कंपनियों का मुनाफा इस प्रकार है…
रिलायंस इंडस्ट्रीज: रिपोर्ट्स के मुताबिक, रिलायंस ने रूस से सस्ते कच्चे तेल का लाभ उठाकर पिछले कुछ वर्षों में लगभग 50,000 करोड़ रुपये (लगभग 6 अरब डॉलर) का मुनाफा कमाया है। 2022 से अब तक रूस से आयातित तेल का करीब 30-40% हिस्सा रिलायंस की खपत में गया, जिससे इसकी रिफाइनिंग और निर्यात में भारी बढ़ोतरी हुई।
सरकारी तेल कंपनियां: इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम (BPCL), और हिंदुस्तान पेट्रोलियम (HPCL) जैसी सरकारी कंपनियों को भी फायदा हुआ है। इन कंपनियों का संयुक्त मुनाफा 2022-23 में 3,400 करोड़ रुपये से बढ़कर 2023-24 में 86,000 करोड़ रुपये हो गया, जो 2024-25 में 33,602 करोड़ रुपये रहा। इस लाभ में रूस से सस्ते तेल का योगदान महत्वपूर्ण माना जाता है, जो कुल मुनाफे का करीब 35-40% हो सकता है।
0 सरकार कर रही भारी टैक्स वसूली
सरकार ने भी इस दौरान पेट्रोल और डीजल पर 46% तक टैक्स लगाकर भारी कमाई की। सस्ते तेल की कीमतों का लाभ उठाकर सरकार ने टैक्स के जरिए अपनी आय बढ़ाई, लेकिन आम उपभोक्ताओं को कोई राहत देने की व्यवस्था नहीं की गई। विशेषज्ञों का मानना है कि यह नीति उपभोक्ता हितों के खिलाफ रही।
0 आम लोगों की परेशानी
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि बढ़ती कीमतों और टैक्स के बोझ से आम लोग प्रभावित हुए हैं। सस्ते कच्चे तेल के बावजूद ईंधन की कीमतों में कमी न होना लोगों के लिए निराशाजनक रहा।