00 उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अयोध्या में आयोजित सीएसआर कॉन्क्लेव-2025 में सरकारी व्यवस्था और नौकरशाही की कार्यप्रणाली पर तीखा हमला करते
हुए कहा कि “रामलला के दर्शन तो आसानी से हो जाते हैं, लेकिन फाइलों के दर्शन नहीं होते।”
00 राज्यपाल के इस बयान ने न केवल प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मचा दिया, बल्कि सियासी गलियारों में भी चर्चा का विषय बन गया है। खास बात यह है कि उन्हें पीएम मोदी का करीबी माना जाता है और वे पांच साल से अधिक हो गए यूपी के राजभवन में है।
TTN Desk
राज्यपाल का यह बयान नौकरशाही की उस पुरानी समस्या को उजागर करता है, जहां फाइलें एक टेबल से दूसरी टेबल तक घूमती रहती हैं, और हर स्तर पर नई कमियां निकालकर प्रक्रिया को लटकाया जाता है। इसने नौकरशाही की कार्यशैली पर सवाल उठाए और उत्तर प्रदेश सरकार के प्रशासनिक तंत्र की कमजोरियों को सामने ला दिया।
0बात फाइलों की,हमला सरकारी तंत्र पर
आनंदीबेन पटेल ने अयोध्या के डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में विगत दिबस आयोजित सीएसआर कॉन्क्लेव में बोलते हुए कहा कि लोग सैकड़ों किलोमीटर दूर से रामलला के दर्शन के लिए आते हैं और उन्हें आसानी से दर्शन हो जाते हैं, लेकिन सरकारी फाइलों की मंजूरी के लिए लोगों को कई टेबलों का चक्कर लगाना पड़ता है। उन्होंने बताया कि जब कोई फाइल पहली टेबल पर पहुंचती है, तो अधिकारी उसमें कमियां ढूंढते हैं। फिर वह फाइल दूसरी, तीसरी, और चौथी टेबल तक जाती है, जहां हर बार नई कमियां निकाली जाती हैं। यह प्रक्रिया विकास कार्यों को बाधित करती है और जनता को योजनाओं का समय पर लाभ नहीं मिल पाता।
0 यूपी भर नहीं पूरे देश का हाल ऐसा ही
उन्होंने अधिकारियों को सुझाव दिया कि पहली टेबल पर ही सभी कमियां एक बार में चिह्नित की जाएं और उन्हें ठीक करवाया जाए, ताकि फाइल बार-बार न भटके। राज्यपाल ने यह भी कहा कि यह समस्या सिर्फ उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे देश में सरकारी दफ्तरों का यही हाल है।
0 रामलला के दर्शन से जोड़ दी सारी बात,मचा हड़कंप
आनंदीबेन पटेल का बयान नौकरशाही की कार्यप्रणाली पर सीधा प्रहार था। उन्होंने “रामलला के दर्शन” की तुलना “फाइलों के दर्शन” से करके नौकरशाही की जड़ता को करारे ढंग से उजागर किया। यह बयान इतना तीखा था कि इसने प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मचा दिया और अधिकारियों को कार्रवाई का डर सताने लगा।
0 अपनी ही सरकार पर तंज
राज्यपाल ने यह टिप्पणी उस समय की, जब वह अपनी ही सरकार (उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार) की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रही थीं। यह बयान सत्तारूढ़ दल के लिए असहज करने वाला था, क्योंकि यह सरकार की प्रशासनिक अक्षमता को उजागर करता है। इससे सियासी हलचल मच गई और विपक्षी दलों को सरकार पर हमला करने का मौका मिल गया।
0 आ चुकी है मंत्रियों और सत्तारूढ़ दल के ही विधायकों की नाराजगी
यह बयान ऐसे समय में आया, जब उत्तर प्रदेश में पहले से ही मंत्रियों और विधायकों ने नौकरशाही के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की थी। उदाहरण के लिए, ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने बिजली विभाग के अधिकारियों पर उनकी बात न सुनने और बदनाम करने की साजिश रचने का आरोप लगाया था। इसी तरह, परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने पीडब्ल्यूडी अधिकारियों पर बिना सूचना के पुल खोलने की शिकायत की थी। राज्यपाल का बयान इस नाराजगी को और हवा देने वाला साबित हुआ।
0 सोशल मीडिया पर वायरल हो गया बयान
बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, जिसने इसे व्यापक रूप से जनता तक पहुंचाया। इससे नौकरशाही की कार्यशैली पर बहस छिड़ गई और आम लोग भी अपनी परेशानियों को इस बयान से जोड़कर देखने लगे।
0 आखिर क्या है इसके मायने?
नौकरशाही की जड़ता पर चोट:
आनंदीबेन पटेल का बयान सरकारी तंत्र की उस पुरानी समस्या को उजागर करता है, जहां “लालफीताशाही” के कारण विकास कार्यों में देरी होती है। यह एक तरह से सिस्टम का “एक्स-रे” था, जो दिखाता है कि फाइलों को लटकाना नौकरशाही का नियम बन चुका है।
0 आलोचना के साथ प्रशासनिक सुधार का संदेश भी दिया
राज्यपाल ने न केवल आलोचना की, बल्कि सुधार का रास्ता भी सुझाया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि फाइलों की कमियां एक ही बार में चिह्नित की जाएं, ताकि प्रक्रिया तेज हो और जनता को समय पर लाभ मिले। यह बयान प्रशासन को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में एक कदम भी हो सकता है यदि सरकार इसे सकारात्मक ले तब किंतु क्या ऐसा होगा ये बड़ा सवाल है।
0 माना जा रहा योगी सरकार को अपने ही लोगों की चुनौती के रूप में
यह बयान उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के लिए एक चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। एक ओर, यह सरकार की छवि को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि यह प्रशासनिक कमियों को उजागर करता है। दूसरी ओर, यह सरकार को नौकरशाही को कसने का अवसर भी देता है। विपक्षी दल इस बयान का इस्तेमाल सरकार पर हमला करने के लिए कर सकते हैं।
0 जनता की भावनाओं का प्रतिनिधित्व
आम जनता को सरकारी दफ्तरों में फाइलों के लिए चक्कर लगाने की समस्या से रोजाना जूझना पड़ता है। राज्यपाल का बयान उनकी इस पीड़ा को आवाज देता है, जिसने इसे जनता के बीच लोकप्रिय बना दिया।
0 कार्यक्रम का महत्व दरकिनार हो चर्चा हुई राज्यपाल के रुख की
आनंदीबेन पटेल इस कॉन्क्लेव में 70 आंगनबाड़ी भवनों का शिलान्यास करने और 1000 प्री-स्कूल किट्स की योजना को हरी झंडी दिखाने पहुंची थीं। लेकिन उनकी टिप्पणी ने इन विकास कार्यों से ज्यादा सुर्खियां बटोरीं। यह कार्यक्रम डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में आयोजित हुआ था, और इसकी क्लिपिंग और तस्वीरें राज्यपाल के आधिकारिक एक्स हैंडल पर भी साझा की गईं।