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O कोलकाता में केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार के खिलाफ एक सिख व्यक्ति की पगड़ी पर चप्पल फेंकने के आरोप में FIR दर्ज की गई है। तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने दावा किया है कि यह घटना 12 जून को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आवास के पास हुई थी।
TTN Desk
पश्चिम बंगाल में बीजेपी ओर टीएमसी एक बार फिर आमने-सामने हैं। इसी बीच टीएमसी ने केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता सुकांत मजूमदार के खिलाफ कोलकाता के एक पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई है। टीएमसी ने आरोप लगाया गया है कि उन्होंने एक सिख व्यक्ति पर चप्पल फेंकी जो उसकी पगड़ी पर लगी। वहीं बीजेपी ने इस आरोप को खारिज करते हुए दावा किया कि यह केवल विरोध प्रदर्शन में इस्तेमाल की गई एक कागज की प्रतिकृति थी। वहीं बीजेपी दफ्तर में छापेमारी भी शुरू हो गई है, जिसके बाद सियासी घमासान और बढ़ गया है।
मुख्य बिंदु:
* आरोप: तृणमूल कांग्रेस का आरोप है कि केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार (जो पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष भी हैं) ने एक विरोध प्रदर्शन के दौरान एक सिख व्यक्ति की पगड़ी पर चप्पल फेंकी, जिससे सिख समुदाय की भावनाएं आहत हुई हैं। कुछ रिपोर्टों में यह भी दावा किया गया है कि वह सिख व्यक्ति एक पुलिस अधिकारी था।
* FIR दर्ज: इस घटना के संबंध में कोलकाता के कालीघाट पुलिस स्टेशन में 13 जून को FIR दर्ज की गई है।
* भाजपा का खंडन: भाजपा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि यह एक “कागज का कटआउट” था, जो चप्पल के आकार का था, और इसे विरोध प्रदर्शन के दौरान फेंका गया था। भाजपा का कहना है कि सिख समुदाय को एक मनगढ़ंत कहानी फैलाकर अपमानित किया जा रहा है।
* सुकांत मजूमदार की सफाई: सुकांत मजूमदार ने खुद कहा है कि जिस व्यक्ति के सिर पर “कागज का टुकड़ा” गिरा, वह उनकी सुरक्षा टीम का हिस्सा था और उनका इरादा पुलिस पर कागज फेंकने का था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सिख समुदाय के विरोध के पीछे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हैं।
* सिख समुदाय की प्रतिक्रिया: बंगाल के सिख समुदाय के नेताओं ने इस घटना पर गहरी नाराजगी व्यक्त की है और सुकांत मजूमदार से बिना शर्त माफी मांगने की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि माफी नहीं मांगी गई तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा। पगड़ी को सिख धर्म में सम्मान और पहचान का प्रतीक माना जाता है।शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रमुख एडवोकेट एच एस धामी ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की है।उन्होंने कहा है कि इससे सिख समुदाय की भावनाएं आहत हुई है।सरकार को चाहिए कि वह केंद्रीय मंत्री के खिलाफ शीघ्र कार्यवाही करे।
यह मामला फिलहाल राजनीतिक विवाद का विषय बना हुआ है।