शेयर बाजार में हाहाकार : सेंसेक्स 1414 अंक टूटा, डर से ताबड़तोड़ बिकवाली,29 साल का रिकॉर्ड टूटने की जानिए क्या है वजह…

OO वैश्विक व्यापार में तनाव और टैरिफ वॉर के चलते भारतीय शेयर बाजार में लगातार गिरावट आ रही है। हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को शेयर बाजार में बड़ी गिरावट दर्ज हुई। निफ्टी-50 और सेंसेक्स अपने उच्च स्तर से 16 फीसदी गिर गये हैं।पिछले 29 सालों में यह पहला मौका आया है जब लगातार 5 माह से बाजार में गिरावट का दौर जारी है।

TTN Desk

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सूचकांक सेंसेक्स आज 1.90 फीसदी या 1414 अंक की जबरदस्त गिरावट के साथ 73,198 पर बंद हुआ है। बाजार बंद होते समय सेंसेक्स पैक के 30 शेयरों में से 29 शेयर लाल निशान पर थे। उधर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का सूचकांक निफ्टी 1.87 फीसदी या 422 अंक गिरकर 22,122 पर बंद हुआ है।

एफआईआई लगातार बिकवाली कर रहे हैं, जिससे बाज़ार लगातार कमज़ोर बना हुआ है. पिछले कई माह से निफ्टी के बॉटम आउट होने की उम्मीद की गई और यह अनुमान लगाया गया कि निफ्टी 25000,24500, 24000, 23500, 23000 से सपोर्ट लेगा. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और निफ्टी के सभी बड़े सपोर्ट लेवल एक के बाद एक टूटते गए. डीआईआई और रिटेलर्स ने एसआईपी से इस बिकवाली को एब्सोर्ब करने की कोशिश की, लेकिन बाज़ार गिरता रहा.

निफ्टी के आखरी सपोर्ट लेवल के रूप में 22500 का सहारा था, लेकिन शुक्रवार को जैसे ही यह लेवल टूटा, डीआईआई और रिटेल इन्वेस्टर्स का धैर्य जवाब दे गया और बाज़ार में पैनिक सेलिंग का सीन बन गया. निफ्टी में अब इतनी कमज़ोरी है कि आने वाले दिनों में 22000 का लेवल भी टूट सकता है.
आइए शेयर बाजार में लगातार गिरावट के कुछ कारणों को भी जान लेते है…

O विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली

विदेशी निवेशकों ने केवल पांच महीनों (अक्टूबर 2024-फरवरी 2025) में, भारतीय बाजार से 3.11 लाख करोड़ रुपए निकाल लिए। सितंबर और दिसंबर तिमाही में कंपनियों के कमजोर नतीजों के कारण निवेशकों ने ये बिकवाली की है। इसके अलावा, चीनी अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीदों ने निवेशकों को अट्रैक्ट किया। निवेशकों को चीनी कंपनियों के शेयर भारतीय कंपनियों के शेयरों की तुलना में ज्यादा सस्ते दिख रहे हैं।

O हाय महंगाई ,महंगाई…महंगाई

खाने-पीने की चीजें महंगी होने से अक्टूबर 2024 में रिटेल महंगाई बढ़कर 6.21% पर पहुंच गई थी। ये महंगाई का 14 महीनों का उच्चतम स्तर था। हालांकि, खाने-पीने की चीजें सस्ती होने से जनवरी 2025 में रिटेल महंगाई घटकर 5 महीने के निचले स्तर 4.31% पर आ गई थी। ये कमी निवेशकों का विश्वास बहाल करने के लिए काफी नहीं है।

O अर्थव्यवस्था की धीमी गति

हाल के महीनों में भारतीय अर्थव्यवस्था धीमी हो गई है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के अनुमान के अनुसार वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की विकास दर 6.4% आंकी गई है जो 4 साल का निचला स्तर है। पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में GDP ग्रोथ रेट 8.2% रही थी। वहीं वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में यह 6.7% रही थी। दूसरी तिमाही में यह संख्या गिरकर 5.4% पर आ गई। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के खराब प्रदर्शन से ग्रोथ धीमी रही।

O डोनाल्ड ट्रम्प की नीतियों से निवेशक चिंतित

भारत सहित अन्य देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ (जैसा को तैसा) लगाने की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की धमकी से बाजार में अनिश्चितता है। ट्रम्प ने बीते दिनों कहा था, ‘हम रेसिप्रोकल टैरिफ लगाएंगे। चाहे वो कोई भी देश हो- भारत या चीन, वे हम पर जितना चार्ज करते हैं, हम भी उतना ही करेंगे। हम व्यापार में बराबरी चाहते हैं। कनाडा और मेक्सिको पर 25% टैरिफ 4 मार्च से लागू होने जा रहा है।