वक्फ बिल : सुप्रीम कोर्ट में तीखी बहस,बुधवार को भी जारी रहेगी सुनवाई

TTN Desk

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर अहम सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस बी.आर. गवई, जस्टिस ए.जी. मसीह और जस्टिस के. विनोद के चंद्रन की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की, जो बुधवार को भी जारी रहेगी।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं और केंद्र सरकार के बीच तीखी बहस देखने को मिली। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से आग्रह किया कि अंतरिम आदेश पारित करने के लिए सुनवाई को केवल तीन मुख्य मुद्दों तक सीमित रखा जाए।

Oये मुद्दे हैं प्रमुख

* “वक्फ बाय यूजर” संपत्तियों का मुद्दा:

याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि संशोधन अधिनियम “वक्फ बाय यूजर” की अवधारणा को समाप्त कर रहा है। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी कि यदि कोई संपत्ति ईश्वर को समर्पित की जाती है, तो वह कभी समाप्त नहीं हो सकती और संशोधन इसे केवल पंजीकृत वक्फ तक सीमित कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार (अनुच्छेद 25) का उल्लंघन है।

* वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद की संरचना:

याचिकाकर्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में पदेन सदस्यों को छोड़कर सभी सदस्य मुस्लिम होने चाहिए।

* कलेक्टर द्वारा सरकारी भूमि की जांच:

संशोधन अधिनियम के एक प्रावधान के अनुसार, यदि कलेक्टर यह जांच करता है कि कोई संपत्ति सरकारी भूमि है या नहीं, तो ऐसी संपत्ति को जांच के दौरान वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा। याचिकाकर्ताओं ने इस प्रावधान का विरोध करते हुए कहा कि इससे वक्फ संपत्तियों को सीधे तौर पर अधिग्रहित किया जा सकता है।

O याचिकाकर्ताओं की प्रमुख दलीलें:

वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी कि वक्फ संशोधन अधिनियम सरकार द्वारा वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करने का एक प्रयास है। उन्होंने कहा कि यह अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 25 (धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार) और 26 (धार्मिक मामलों का प्रबंधन करने का अधिकार) का उल्लंघन करता है। सिब्बल ने यह भी कहा कि “वक्फ बाय यूजर” को हटाना गलत है, क्योंकि एक बार ईश्वर को समर्पित की गई संपत्ति हमेशा वक्फ ही रहती है।

O केंद्र सरकार का रुख

केंद्र सरकार ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 का बचाव करते हुए तर्क दिया कि यह कानून पूरी तरह से संवैधानिक है और संसद द्वारा पारित किया गया है। सरकार ने यह भी आश्वासन दिया कि नए कानून के तहत वक्फ बोर्ड या परिषद में कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी, और कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि वह 1995 के मूल वक्फ अधिनियम के प्रावधानों पर रोक लगाने की मांग वाली याचिकाओं पर विचार नहीं करेगा।

O सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा…

चीफ जस्टिस बी.आर. गवई ने टिप्पणी की कि “जब तक मजबूत केस नहीं बनता, तब तक अदालतें हस्तक्षेप नहीं करतीं।” उन्होंने याचिकाकर्ताओं को अपने तर्कों को और मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया।

O अब आगे क्या ..?

इस मामले में सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी, जिसमें अन्य याचिकाकर्ता अपनी दलीलें पेश करेंगे। कोर्ट अंतरिम आदेश पारित करने के लिए सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद निर्णय ले सकता है। यह मामला वक्फ संपत्तियों और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों के संदर्भ में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।