
OO रूस ने अमेरिकी हमलों को बताया “गैर-जिम्मेदाराना”, संयुक्त राष्ट्र से हस्तक्षेप की मांग
TTN Desk
रूस ने हाल ही में ईरान पर किए गए अमेरिकी सैन्य हमलों को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है। रूसी विदेश मंत्रालय ने दावा किया है कि इन हमलों से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। रूस ने इसे “गैर-जिम्मेदाराना” और “अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन” करार देते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है। दूसरी ओर, अमेरिका का दावा है कि उसके हमलों ने ईरान के प्रमुख परमाणु स्थलों को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। यह विवाद क्षेत्रीय तनाव को और बढ़ाने का कारण बन सकता है।
O रूस का बयान और दावे
रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा, “अमेरिकी हमले ईरान के परमाणु बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाने में पूरी तरह विफल रहे। यह केवल क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ाने का एक प्रयास है।” रूस ने यह भी आरोप लगाया कि अमेरिका ने इन हमलों के लिए कोई ठोस सबूत नहीं दिए कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा था। रूस ने संयुक्त राष्ट्र से इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
O अमेरिका का दावा
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के अनुसार, हमलों का निशाना ईरान के प्रमुख परमाणु स्थल जैसे फोर्डो, नतांज और इस्फहान थे। पेंटागन के एक अधिकारी ने दावा किया, “हमारे सटीक हमलों ने इन सुविधाओं को गंभीर नुकसान पहुंचाया, जिससे ईरान के परमाणु हथियार विकसित करने की क्षमता को बड़ा झटका लगा है।” हालांकि, अमेरिका ने अभी तक स्वतंत्र सत्यापन के लिए विस्तृत सबूत सार्वजनिक नहीं किए हैं।
O क्या कोरिया करेगा ईरान की मदद ?
रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने ईरान पर अमेरिकी हमलों के बारे में बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका का ईरान पर सैन्य हस्तक्षेप “पूरे क्षेत्र को अस्थिर” कर सकता है। रयाबकोव ने इंटरफैक्स न्यूज एजेंसी को बताया कि रूस ने अमेरिका को इस संघर्ष में सीधे शामिल होने के खिलाफ चेतावनी दी है, क्योंकि इससे स्थिति और जटिल हो सकती है। उन्होंने अमेरिकी हमलों को “अनुचित” और “ईरान पर अपनी इच्छा थोपने का प्रयास” करार दिया। इसके अलावा, रूस ने इस मामले में राजनयिक समाधान की वकालत की और कहा कि वह वाशिंगटन और तेहरान के बीच मध्यस्थता के लिए तैयार है।इसके अतिरिक्त, रूसी फेडरेशन की सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष और पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने भी बयान दिया। उन्होंने दावा किया कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम को अमेरिकी हमलों से कोई खास नुकसान नहीं हुआ है और कुछ देश (संभवतः उत्तर कोरिया का इशारा) ईरान को परमाणु हथियार देने को तैयार हैं। यह बयान सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर चर्चा में रहा, हालांकि इसकी स्वतंत्र पुष्टि नहीं हुई है।
O क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव
यह घटनाक्रम मध्य पूर्व में पहले से मौजूद तनाव को और बढ़ा सकता है। ईरान ने अभी तक हमलों पर आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि वह जवाबी कार्रवाई की योजना बना सकता है। रूस और ईरान के बीच मजबूत रणनीतिक साझेदारी को देखते हुए, रूस का यह बयान अमेरिका के खिलाफ एक राजनयिक रुख को दर्शाता है। चीन और अन्य देशों ने भी इस मामले में तटस्थ रहने का संकेत दिया है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र में इस मुद्दे पर चर्चा होने की संभावना है।
O स्वतंत्र सत्यापन की कमी
फिलहाल, रूस और अमेरिका के दावों का स्वतंत्र रूप से सत्यापन नहीं हो सका है। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने कहा है कि वह स्थिति पर नजर रख रही है और जल्द ही ईरान के परमाणु स्थलों का निरीक्षण करने की योजना बना रही है। IAEA की रिपोर्ट इस मामले में स्पष्टता ला सकती है।


