TTN Desk
रायपुर, छत्तीसगढ़: राजधानी रायपुर में पत्रकारों के साथ मारपीट और बदसलूकी के मामले में पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इन आरोपियों का शहर में जुलूस निकाला गया और उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जा रही है। यह घटना रविवार रात डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल (मेकाहारा) में घटित हुई थी, जिसने पत्रकारों के बीच गहरा रोष पैदा कर दिया था।
O क्या थी घटना?
रविवार रात, कुछ पत्रकार रायपुर के मेकाहारा अस्पताल में एक चाकूबाजी की घटना की कवरेज के लिए गए थे। इसी दौरान, अस्पताल में मौजूद कुछ बाउंसरों ने पत्रकारों के साथ गाली-गलौज और मारपीट शुरू कर दी। पत्रकारों का आरोप है कि उन्हें कवरेज करने से रोका गया और धमकाया गया। इस घटना में कई पत्रकारों को चोटें भी आईं।
O पत्रकारों का प्रदर्शन और मुख्यमंत्री आवास घेराव
मारपीट की घटना के बाद, पत्रकारों ने तत्काल अस्पताल के गेट पर इकट्ठा होकर प्रदर्शन शुरू कर दिया। जब पुलिस से कोई संतोषजनक कार्रवाई नहीं हुई, तो आक्रोशित पत्रकारों ने मुख्यमंत्री आवास की ओर कूच किया और उसका घेराव करने का प्रयास किया। पत्रकारों की यह कार्रवाई पुलिस और प्रशासन पर तत्काल कार्रवाई का दबाव बनाने के उद्देश्य से थी।
O पुलिस की त्वरित कार्रवाई: गिरफ्तारी और जुलूस
पत्रकारों के बढ़ते दबाव और सार्वजनिक रोष को देखते हुए, रायपुर पुलिस ने मामले में त्वरित कार्रवाई की। सोमवार को पुलिस ने इस मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में बाउंसर वसीम बाबू भी शामिल है, जिसके घर से पिस्टल और गोलियां भी बरामद की गई हैं।
गिरफ्तारी के बाद, पुलिस ने इन आरोपियों का जयस्तंभ चौक से शहर के अलग-अलग हिस्सों में जुलूस निकाला। कुछ रिपोर्टों के अनुसार, पुलिस ने आरोपियों के सिर भी मुंडवाए। इस दौरान कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी मौजूद रहे। पुलिस का यह कदम अपराधियों में भय पैदा करने और सार्वजनिक रूप से न्याय का संदेश देने के उद्देश्य से उठाया गया।
O पुलिस का आश्वासन और पत्रकारों का धरना समाप्त
पुलिस अधिकारियों ने पत्रकारों को सुरक्षा का आश्वासन दिया और निष्पक्ष जांच का भरोसा दिलाया। पुलिस की इस कार्रवाई के बाद, पत्रकारों ने अपना धरना प्रदर्शन समाप्त कर दिया। पुलिस ने कहा है कि इस मामले में किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा और पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। यह घटना एक बार फिर पत्रकारों की सुरक्षा और उनके काम करने की स्वतंत्रता पर सवाल उठाती है।