TTN Desk
वाशिंगटन डीसी/नई दिल्ली: संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रतिनिधि सभा ने बहुचर्चित ‘वन बिग ब्यूटीफुल बिल एक्ट’ (OBBBA) को एक करीबी वोट (215-214) से पारित कर दिया है। यह विधेयक पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आर्थिक नीतियों का एक व्यापक खाका प्रस्तुत करता है, जिसमें 2017 के टैक्स कट्स को स्थायी बनाना और रेमिटेंस पर टैक्स लगाना शामिल है। हालांकि, विधेयक में प्रस्तावित रेमिटेंस टैक्स को मूल 5% से घटाकर 3.5% कर दिया गया है, जो 1 जनवरी 2026 से प्रभावी होगा।
यह विधेयक अब अमेरिकी सीनेट में जाएगा, जहां इसे कानून बनने से पहले पारित होना होगा। सीनेट में भी इसमें संशोधन की संभावना है।
O भारत पर संभावित प्रमुख असर
*प्रवासी भारतीयों पर वित्तीय 3.5% का रेमिटेंस टैक्स लागू होने से अमेरिका में कार्यरत भारतीय प्रवासियों (H-1B, L-1 वीजा धारकों, ग्रीन कार्ड धारकों, NRI और OCI कार्ड धारकों) पर वित्तीय बोझ पड़ेगा। हालांकि यह 5% से कम है, फिर भी यह अतिरिक्त लागत है जो उन्हें भारत में अपने परिवारों को पैसे भेजते समय चुकानी होगी।अभी भारत में जो राशि अमेरिका से प्रतिवर्ष आती है उस पर यदि प्रस्तावित 3.5 प्रतिशत का कर लगा तो टैक्स की यह राशि 8500 करोड़ से अधिक होगी या कह लीजिए कि इतनी राशि भारतीय एनआरआई से अमेरिकी सरकार बतौर टैक्स ले लेगी यूं एक बड़ी राशि भारत आने से कम होगी।
* अमेरिका में लाखों भारतीय प्रवासी रहते हैं जो नियमित रूप से भारत में पैसे भेजते हैं। यह नया टैक्स उनकी डिस्पोजेबल आय को प्रभावित करेगा और परिवार के बजट पर असर डालेगा।
* भारत के रेमिटेंस प्रवाह पर असर
भारत दुनिया का सबसे बड़ा रेमिटेंस प्राप्तकर्ता देश है, और उसका अमेरिका एक प्रमुख स्रोत है। टैक्स के कारण अमेरिका से भारत आने वाले रेमिटेंस की कुल राशि में संभावित रूप से कमी आ सकती है।
* रेमिटेंस में कमी से भारत के विदेशी मुद्रा भंडार पर हल्का दबाव पड़ सकता है, हालांकि 3.5% की दर 5% की तुलना में कम गंभीर होगी।
* यदि रेमिटेंस प्रवाह में उल्लेखनीय कमी आती है, तो इससे रुपये पर डॉलर के मुकाबले थोड़ा दबाव पड़ सकता है। हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पास रुपये को स्थिर करने के लिए पर्याप्त उपकरण हैं।
* भारत में ऐसे कई परिवार हैं जो अपनी बुनियादी जरूरतों, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल के लिए अमेरिका से आने वाले पैसे पर निर्भर करते हैं। रेमिटेंस टैक्स के कारण प्राप्त होने वाली राशि में कमी इन परिवारों के लिए कुछ हद तक वित्तीय चुनौती पैदा कर सकती है।
* यह विधेयक सीधे तौर पर भारत-अमेरिका के व्यापक रणनीतिक संबंधों को प्रभावित नहीं करेगा। हालांकि, भारतीय प्रवासी समुदाय इस विधेयक के प्रभावों पर बारीकी से नज़र रखेगा, और भारत सरकार भी अपने नागरिकों के हितों को ध्यान में रखेगी।
O अब आगे क्या
चूंकि विधेयक अब सीनेट में जाएगा, भारतीय अधिकारी और दूतावास इस पर नज़र रखेंगे। भारतीय प्रवासी समुदाय के समूह भी सीनेटरों से संपर्क कर सकते हैं और बिल में संभावित संशोधनों पर अपनी चिंता व्यक्त कर सकते हैं। जब तक यह सीनेट से पारित होकर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर नहीं हो जाते, तब तक यह कानून नहीं बनेगा।