OO बंगाल की खाड़ी में बनाए 550 किलोमीटर के नो-फ्लाई ज़ोन के बीच सामरिक क्षमताओं का प्रदर्शन करते हुए ये विशेष परीक्षण किया है।जो आज शनिवार को भी जारी रहेगा।घोषित तौर पर क्या परीक्षण किया गया यह सामने अब तक नहीं आया है किन्तु ब्रह्मोस के उन्नत संस्करण के परीक्षण की बात रक्षा विशेषज्ञ कर रहे है।
TTN Desk
भारतीय रक्षा अधिकारियों ने 23 मई 2025 को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के ऊपर एक ‘उच्च ऊंचाई वाले हथियार’ का सफल उड़ान परीक्षण किया। यह परीक्षण आज 24 मई को भी जारी रहने की संभावना है। इन परीक्षणों के लिए अंडमान सागर और बंगाल की खाड़ी के ऊपर 500 किलोमीटर से अधिक का ‘नो-फ्लाई ज़ोन’ घोषित किया गया था, जिससे हवाई यातायात को अस्थायी रूप से रोका गया।
हालांकि रक्षा मंत्रालय या DRDO ने आधिकारिक तौर पर हथियार की पहचान जाहिर नहीं की है, लेकिन रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह ब्रह्मोस क्रूज़ मिसाइल के एक उन्नत या विस्तारित रेंज वाले एयर संस्करण का परीक्षण हो सकता है, जिसमें अधिक स्वदेशी घटकों का उपयोग किया गया होगा। इन परीक्षणों को भारत के नियमित रक्षा अभ्यास का हिस्सा बताया गया है, जो रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की परिचालन तैयारी को मजबूत करने पर केंद्रित हैं।
O भारत की बढ़ती प्रतिरोधक क्षमता
यह परीक्षण भारत की सामरिक प्रतिरोधक क्षमताओं को और मजबूत करता है। ‘उच्च ऊंचाई वाले हथियार’ का सफल परीक्षण दर्शाता है कि भारत विभिन्न प्रकार के खतरों का मुकाबला करने के लिए अपनी क्षमताओं का लगातार विस्तार कर रहा है।
O हिंद-प्रशांत में शक्ति प्रदर्शन
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह भारत के लिए सामरिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इस क्षेत्र में परीक्षण भारत की हिंद-प्रशांत में सैन्य उपस्थिति और शक्ति प्रक्षेपण क्षमताओं का प्रदर्शन करते हैं, जो क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
O आत्मनिर्भरता और तकनीकी उन्नति
यदि यह ब्रह्मोस का उन्नत संस्करण है (जैसा कि अटकलें हैं), तो यह स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकियों के विकास में भारत की प्रगति को दर्शाता है। स्वदेशीकरण से आयात पर निर्भरता कम होती है और भारत को अपनी विशिष्ट रक्षा आवश्यकताओं के अनुरूप हथियार प्रणालियों को विकसित करने की स्वतंत्रता मिलती है।
O लचीली हमले की क्षमता
‘उच्च ऊंचाई वाले हथियार’ और ब्रह्मोस जैसी मिसाइलें दुश्मन के हवाई रक्षा प्रणालियों से बचने और सटीक हमला करने में सक्षम होती हैं। यह भारत को जमीनी, समुद्री और हवाई प्लेटफार्मों से हमला करने की अधिक लचीली और प्रभावी क्षमता प्रदान करता है।