OO केंद्र सरकार ने आधिकारिक रूप से घोषणा की है कि आगामी जनगणना में जाति गणना को शामिल किया जाएगा।विपक्ष के नेता राहुल गांधी सहित विपक्ष दल एक लंबे अरसे से इसकी मांग कर रहे थे।राहुल गांधी ने तो संसद में दिए अपने भाषण में भी कहा था कि हम इसे मनवा कर रहेंगे।यूं देखा जाय तो बिहार चुनाव के पहले मोदी सरकार ने विपक्ष की मांग को माना ही है हालांकि फिर भी आज केंद्रीय मंत्री अश्वनी वैष्णव ने कांग्रेस को ही निशाने पर लेते हुए कहा कि कांग्रेस इसे केवल राजनीतिक हथियार बना रही थी वहीं कांग्रेस ने इसे देर आए दुरुस्त आए कहा है।
TTN Desk
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को कैबिनेट की बैठक के बाद सरकार द्वारा आगमी जनगणना के साथ ही देश में जाति जनगणना कराने के निर्णय की जानकारी दी। यह निर्णय राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति ने लिया, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की।
O पारदर्शिता पर जोर दिया
वैष्णव ने कहा कि जाति गणना को पारदर्शी तरीके से जनगणना का हिस्सा बनाया जाएगा ताकि सामाजिक और आर्थिक नीतियाँ मजबूत हों और सामाजिक ताने-बाने को नुकसान न हो।
O कांग्रेस को लिया निशाने पर
सरकार ने कांग्रेस और इंडिया गठबंधन पर आरोप लगाया कि उन्होंने जाति जनगणना को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। वैष्णव ने कहा कि 2010 में मनमोहन सिंह ने इस पर विचार की बात कही थी, लेकिन SECC सर्वे ही किया गया, जो अपूर्ण था।राज्यों के सर्वे पर टिप्पणी: कुछ राज्यों (जैसे तेलंगाना, कर्नाटक) में किए गए जाति सर्वे को सरकार ने “गैर-पारदर्शी” और “राजनीति से प्रेरित” बताया, जबकि बिहार जैसे कुछ सर्वे को बेहतर माना।
0 कभी नहीं से तो देर भली : कांग्रेस
कांग्रेस के जयराम रमेश ने इसे “बेटर लेट दैन नेवर” कहा और दावा किया कि यह उनकी पार्टी के दबाव का नतीजा है। उन्होंने 2023 में मल्लिकार्जुन खड़गे के पत्र का भी जिक्र किया, जिसमें जाति जनगणना की मांग की गई थी।
O राहुल गांधी सहित विपक्ष कर रहा था लंबे अरसे से मांग
यह फैसला राहुल गांधी और इंडिया गठबंधन की लंबे समय से चली आ रही मांग के बाद आया है, जिन्होंने इसे सामाजिक न्याय और पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए जरूरी बताया था।बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जो बीजेपी के सहयोगी हैं, ने इस फैसले का स्वागत किया और कहा कि यह उनकी पुरानी मांग थी।यह कदम बिहार जैसे राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जहाँ जाति आधारित राजनीति अहम भूमिका निभाती है।
O अब आगे क्या.?
अभी यह स्पष्ट नहीं है कि जनगणना कब शुरू होगी, लेकिन सूत्रों के अनुसार, यह 2025 में शुरू होकर 2026 तक पूरी हो सकती है।जाति गणना के लिए प्रश्नावली और डेटा संग्रह की प्रक्रिया को और स्पष्ट किया जाएगा। बिहार के 2023 सर्वे की तरह, जिसमें 215 जातियों की सूची दी गई थी, केंद्र भी ऐसी व्यवस्था कर सकता है।निष्कर्ष:मोदी सरकार ने राहुल गांधी और विपक्ष की मांग को मानते हुए जाति जनगणना को आगामी जनगणना में शामिल करने का ऐलान किया है। यह एक बड़ा नीतिगत फैसला है, जो सामाजिक-आर्थिक नीतियों और राजनीति को प्रभावित कर सकता है।