TTN Desk
12 जून 2025 को अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से लंदन के गैटविक हवाई अड्डे के लिए उड़ान भरने वाली एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171, बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर, टेकऑफ के मात्र 32 सेकंड बाद एक आवासीय क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस हादसे में विमान में सवार 230 यात्रियों और 12 चालक दल के सदस्यों सहित कुल 241 लोगों की मृत्यु हो गई, जबकि केवल एक यात्री, विशवास कुमार रमेश, जीवित बचे। विमान बीजे मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स हॉस्टल के पास दुर्घटनाग्रस्त हुआ, जिसके परिणामस्वरूप जमीन पर भी अब तक 34 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। यह भारत के सबसे घातक विमानन हादसों में से एक है।
O क्या है बीमा दावों का अनुमान और इसका पैमाना
उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, इस दुर्घटना से उत्पन्न होने वाले बीमा दावे ₹1,000 करोड़ से ₹2,400 करोड़ (लगभग $211 मिलियन से $280 मिलियन) तक हो सकते हैं, जो भारत के विमानन इतिहास में सबसे बड़ा बीमा दावा बन सकता है। यह राशि भारत के पूरे विमानन बीमा क्षेत्र के वार्षिक प्रीमियम से अधिक है, जो लगभग ₹900 करोड़ है। बीमा दावों को दो प्रमुख हिस्सों में बांटा गया है:
हल इंश्योरेंस (विमान की क्षति):
बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर, जो 2013 का मॉडल था, का बीमित मूल्य 2021 में लगभग $115 मिलियन था। पूरी तरह से नष्ट हुए विमान के लिए हल क्लेम का अनुमान $75 मिलियन से $85 मिलियन (लगभग ₹650-700 करोड़) है।
लायबिलिटी क्लेम (यात्री और तीसरे पक्ष की देनदारी):
मॉन्ट्रियल कन्वेंशन 1999 के तहत, प्रत्येक मृत यात्री के परिजनों को 128,821 स्पेशल ड्रॉइंग राइट्स (SDRs), यानी लगभग ₹1.47 करोड़, का मुआवजा मिलना अनिवार्य है। 241 यात्रियों के लिए यह राशि ₹240 करोड़ से अधिक हो सकती है। इसके अतिरिक्त, जमीन पर हुई क्षति और तीसरे पक्ष के दावों से यह राशि और बढ़ सकती है।
Oगलती अगर एयर इंडिया की तो देना पड़ेगा टाटा समूह को अधिक मुआवजा
एयर इंडिया के मालिक टाटा समूह ने प्रत्येक मृत यात्री के परिवार को ₹1 करोड़ का अंतरिम मुआवजा देने की घोषणा की है, जो मॉन्ट्रियल कन्वेंशन के तहत देय राशि से अतिरिक्त है। इसके अलावा, टाटा समूह एकमात्र जीवित यात्री और हादसे में घायल हुए लोगों के इलाज का पूरा खर्च वहन करेगा। यदि एयर इंडिया की लापरवाही सिद्ध होती है, तो मुआवजा राशि और अधिक हो सकती है, क्योंकि मॉन्ट्रियल कन्वेंशन के तहत दो-स्तरीय देनदारी प्रणाली में गलती साबित होने पर असीमित मुआवजे का प्रावधान है।
O बीमा कंपनियों और पुनर्बीमा की भूमिका
एयर इंडिया का विमानन बीमा $20 बिलियन के एक व्यापक कार्यक्रम के तहत है, जिसका वार्षिक प्रीमियम लगभग $30 मिलियन (₹246 करोड़) है। इस बीमा का नेतृत्व टाटा एआईजी जनरल इंश्योरेंस कर रहा है, जिसमें न्यू इंडिया एश्योरेंस, जीआईसी रे, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस और ओरिएंटल इंश्योरेंस जैसी भारतीय कंपनियां सह-बीमाकर्ता हैं। हालांकि, जोखिम का 95% हिस्सा वैश्विक पुनर्बीमाकर्ताओं, जैसे एआईजी लंदन, एक्सए एक्सएल और लॉयड्स सिंडिकेट्स, द्वारा वहन किया जाता है। प्रत्येक पुनर्बीमाकर्ता 1.5% से 2% जोखिम लेता है, जबकि प्रमुख पुनर्बीमाकर्ता 10-15% जोखिम ले सकता है। भारतीय नियमों के तहत, हल क्लेम का 5% जीआईसी रे को देना अनिवार्य है।
O हादसे का विमानन बीमा बाजार पर प्रभाव
इस हादसे से वैश्विक विमानन बीमा बाजार पर गहरा असर पड़ने की संभावना है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना बीमा प्रीमियम को बढ़ा सकती है, खासकर भारत में वाइड-बॉडी विमानों के लिए। विमानन बीमा एक वैश्विक पूल के रूप में काम करता है, और इस तरह की बड़ी दुर्घटनाएं सभी एयरलाइनों के लिए प्रीमियम दरों को प्रभावित करती हैं। इससे पहले, 2020 में एयर इंडिया एक्सप्रेस की दुर्घटना में ₹660 करोड़ का दावा हुआ था, जो उस समय का सबसे बड़ा विमानन बीमा दावा था। इस बार का दावा उससे कहीं अधिक होने की संभावना है।
O कैसी होगी कानूनी और जांच प्रक्रिया
विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) ने हादसे की औपचारिक जांच शुरू कर दी है। एयर इंडिया के सीईओ कैंपबेल विल्सन ने पारदर्शिता का वादा किया है और प्रभावित परिवारों के लिए एक विशेष हेल्पलाइन शुरू की है। मॉन्ट्रियल कन्वेंशन के तहत यात्री दायित्व दावों का निपटारा 2-3 साल तक चल सकता है, क्योंकि इसमें प्रत्येक यात्री की प्रोफाइलिंग और कानूनी प्रक्रियाएं शामिल होती हैं। तीसरे पक्ष की क्षति के दावे, जैसे हॉस्टल की क्षति, भारतीय टॉर्ट कानून या अन्य विमानन-विशिष्ट दायित्व कन्वेंशनों के तहत निपटाए जाएंगे।
O लंबे समय तक रहेगा हादसे का असर
अहमदाबाद में हुई एयर इंडिया की विमान दुर्घटना न केवल एक मानवीय त्रासदी है, बल्कि यह भारत के विमानन बीमा क्षेत्र के लिए एक अभूतपूर्व वित्तीय चुनौती भी है। ₹1,000 करोड़ से अधिक के अनुमानित दावों के साथ, यह भारत का सबसे बड़ा विमानन बीमा दावा बनने की ओर अग्रसर है। टाटा समूह और बीमा कंपनियां प्रभावित परिवारों को त्वरित राहत प्रदान करने के लिए काम कर रही हैं, लेकिन इस हादसे का असर वैश्विक बीमा बाजार और भारतीय विमानन उद्योग पर लंबे समय तक रहेगा।