प्रीवोस्ट चुने गए नए पोप : दो हजार साल की इतिहास में पहली बार अमेरिकी पोप… जानिए कौन है वे और क्या होगा उनका नया नाम


OO कार्डिनल रॉबर्ट फ्रांसिस प्रीवोस्ट को नए पोप के रूप में चुना गया है। वे पोप लियो XIV (Pope Leo XIV) के नाम से जाने जाएंगे। यह ऐतिहासिक घटना है, क्योंकि वे पहले अमेरिकी पोप हैं।

TTN Desk

8 मई 2025 को वेटिकन सिटी के सिस्टीन चैपल की चिमनी से सफेद धुआं निकला, जो नए पोप के चुनाव का संकेत है। यह घटना स्थानीय समयानुसार शाम 6:07 बजे हुई। इसके बाद सेंट पीटर बेसिलिका की घंटियां बजीं, और हजारों लोग सेंट पीटर स्क्वायर में इकट्ठा हुए।

कार्डिनल रॉबर्ट फ्रांसिस प्रीवोस्त, जो शिकागो, अमेरिका से हैं, को 133 कार्डिनल इलेक्टर्स ने 267वें पोप के रूप में चुना। उन्होंने पोप लियो XIV का नाम चुना।
2,000 साल के कैथोलिक चर्च के इतिहास में यह पहली बार है कि कोई अमेरिकी पोप बना है। इससे पहले, अमेरिका की वैश्विक राजनीतिक प्रभाव के कारण कार्डिनल इलेक्टर्स अमेरिकी उम्मीदवारों से कतराते थे।

O दो तिहाई बहुमत से चुने गए

पोप फ्रांसिस के 21 अप्रैल 2025 को निधन के बाद 7 मई 2025 से सिस्टीन चैपल में कॉन्क्लेव शुरू हुआ।पहले दिन (7 मई) और दूसरे दिन की सुबह (8 मई) काले धुएं के साथ वोटिंग असफल रही। लेकिन दूसरे दिन की चौथी वोटिंग में प्रीवोस्त को दो-तिहाई बहुमत (कम से कम 89 वोट) मिला।कॉन्क्लेव में 133 कार्डिनल्स ने हिस्सा लिया, जिनमें से 80% पोप फ्रांसिस द्वारा नियुक्त थे।

O रॉबर्ट फ्रांसिस प्रीवोस्त कौन हैं?

Oउम्र और पृष्ठभूमि

प्रीवोस्त का जन्म शिकागो, इलिनोइस में हुआ, और उनकी उम्र 69 वर्ष है। वे एक ऑगस्टिनियन मिशनरी हैं, जिन्होंने अपने करियर का अधिकांश समय पेरू में सेवा करते हुए बिताया।

O वेटिकन में भूमिका

2023 में पोप फ्रांसिस ने उन्हें डिकास्ट्री फॉर बिशप्स का प्रमुख नियुक्त किया, जो विश्व भर में बिशप्स की नियुक्ति का एक शक्तिशाली पद है। इस भूमिका ने उन्हें कॉन्क्लेव में अन्य कार्डिनल्स की तुलना में अधिक प्रमुखता दी।

O वैचारिक दृष्टिकोण से है मध्यमार्गी

प्रीवोस्त को सेंट्रिस्ट (मध्यमार्गी) माना जाता है, जो सामाजिक मुद्दों पर प्रगतिशील और चर्च के सिद्धांतों पर रूढ़िवादी दृष्टिकोण रखते हैं।वे पोप फ्रांसिस की तरह गरीबों और हाशिए पर पड़े समुदायों के प्रति समर्पित हैं।हालांकि, वे महिलाओं को डीकन के रूप में नियुक्त करने के खिलाफ हैं, जो उन्हें कुछ मामलों में रूढ़िवादी बनाता है।

O पेरू से है संबंध

प्रीवोस्त के लंबे समय तक पेरू में मिशनरी कार्य ने उन्हें लैटिन अमेरिका में गहरी समझ दी, जिसने संभवतः कार्डिनल्स के बीच उनकी स्वीकार्यता बढ़ाई।

O चुनाव की प्रक्रिया और महत्वकॉन्क्लेव की शुरुआत

पोप फ्रांसिस के निधन के बाद, 133 कार्डिनल्स (80 वर्ष से कम उम्र के) ने 7 मई 2025 को वोटिंग शुरू की। कॉन्क्लेव पूरी तरह गोपनीय होता है, और कार्डिनल्स को बाहरी दुनिया से संपर्क करने की अनुमति नहीं होती।

O ये थे प्रमुख उम्मीदवार

कॉन्क्लेव शुरू होने से पहले, प्रीवोस्त के अलावा कई अन्य कार्डिनल्स को “पापाबिले” (पोप बनने योग्य) माना गया, जिनमें पिएत्रो पारोलिन (इटली, वेटिकन के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट)लुइस एंटोनियो टैगले (फिलीपींस, सुधारवादी)पेटर एर्डो (हंगरी, रूढ़िवादी)रॉबर्ट सारा (गिनी, फ्रांसिस के आलोचक)शामिल थे।प्रीवोस्त को मध्यमार्गी और फ्रांसिस के समर्थकों (“बर्गोग्लियन” गुट) के लिए समझौता उम्मीदवार माना गया।

O चौथी वोटिंग में हुआ चुनाव

नए पोप का चयन दूसरे दिन की चौथी वोटिंग में हुआ, जो अपेक्षाकृत तेज माना जाता है। उदाहरण के लिए, पोप फ्रांसिस 2013 में पांचवीं वोटिंग में चुने गए थे।