OO पाकिस्तान में गहराया राजनीतिक-सुरक्षा संकट
TTN Desk
कराची/इस्लामाबाद: पाकिस्तान के सिंध प्रांत में सिंधु नदी के पानी के बंटवारे और कॉर्पोरेट खेती को लेकर पनपा असंतोष अब हिंसक रूप ले चुका है, जिसने देश के राजनीतिक और सुरक्षा परिदृश्य में भूचाल ला दिया है। पिछले तीन दिनों में हुई दो बड़ी घटनाओं ने इस संकट की गंभीरता को उजागर किया है।
शुक्रवार को पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की बेटी और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (PPP) की सांसद आसिफा भुट्टो जरदारी के काफिले पर प्रदर्शनकारियों ने हमला कर दिया, जिसमें वे बाल-बाल बचीं।
इससे ठीक पहले, इसी विवाद में सिंध के गृहमंत्री जियाउल हसन लंजर के आवास को भी आग के हवाले कर दिया गया था, जिसमें दो लोगों की मौत हुई और कई पुलिसकर्मी घायल हुए।
O आसिफा भुट्टो के काफिले पर हमला
यह घटना शुक्रवार को सिंध प्रांत के जमशोरो टोल प्लाजा के पास हुई, जब आसिफा कराची से नवाबशाह की ओर एक राजनीतिक रैली से लौट रही थीं। गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने उनके काफिले को घेर लिया। वीडियो फुटेज में दिख रहा है कि भीड़ लाठी-डंडों से वाहनों पर वार कर रही है और सरकार विरोधी नारे लगा रही है। प्रदर्शनकारी सिंध सरकार की विवादित नहर परियोजनाओं और कॉर्पोरेट खेती मॉडल का विरोध कर रहे थे, जिसे वे स्थानीय किसानों और जल संसाधनों के लिए खतरा मानते हैं। हालांकि, सुरक्षाकर्मियों ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आसिफा को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। पुलिस के अनुसार, हमला एक मिनट से भी कम समय तक चला और किसी को शारीरिक चोट नहीं आई। इस घटना के बाद कुछ संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है।
O मंगलवार को हुआ था गृहमंत्री के आवास पर हमला और हिंसा
आसिफा के काफिले पर हमले से पहले, सिंध में स्थिति पहले ही काफी तनावपूर्ण थी। सिंध के नौशहरो फिरोज जिले के मोरो शहर में मंगलवार को प्रदर्शनकारियों ने सिंध के गृहमंत्री जियाउल हसन लंजर के निजी आवास पर हमला कर उसे आग लगा दी थी। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई भीषण झड़पों में दो लोगों की मौत हो गई, जबकि एक डीएसपी सहित एक दर्जन से अधिक लोग घायल हुए। प्रदर्शनकारियों ने घर के फर्नीचर और अन्य संपत्तियों में तोड़फोड़ की और आग लगा दी। उन्होंने पास में खड़े दो ट्रेलरों को भी जला दिया और पुलिस पर गोलीबारी भी की।
O विवाद की जड़: जल बंटवारा और कॉर्पोरेट खेती
इस व्यापक हिंसा की जड़ें पाकिस्तान के सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक – पानी के बंटवारे – में निहित हैं। सिंध के लोगों का आरोप है कि पाकिस्तान की केंद्र सरकार और सेना द्वारा सिंधु नदी पर प्रस्तावित छह नई नहर परियोजनाएं, जिनमें चोलिस्तान रेगिस्तान तक पानी ले जाने की योजना शामिल है, सिंध के हिस्से का पानी पंजाब प्रांत की ओर मोड़ देंगी। उनका मानना है कि इससे सिंध में पहले से ही कम पानी की स्थिति और खराब हो जाएगी, जिससे कृषि और जीवनयापन पर गंभीर असर पड़ेगा। इसके अतिरिक्त, सरकार द्वारा कॉर्पोरेट खेती को बढ़ावा देने और कुछ फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को बंद करने का मुद्दा भी किसानों के गुस्से का एक बड़ा कारण है। सिंध के राजनीतिक दल और नागरिक संगठन इन परियोजनाओं को “सिंध के संसाधनों की चोरी” बताकर इनका कड़ा विरोध कर रहे हैं।
O बढ़ता राजनीतिक और सुरक्षा संकट
इन घटनाओं ने पाकिस्तान की अस्थिर राजनीतिक स्थिति को और गहरा कर दिया है। सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच संवादहीनता और बढ़ते अविश्वास ने स्थिति को विस्फोटक बना दिया है। पाकिस्तान पीपल्स पार्टी, जो सिंध में सत्ता में है, अब अपने ही गढ़ में जनता के भारी विरोध का सामना कर रही है। ये हमले न केवल कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती पेश करते हैं, बल्कि दिखाते हैं कि जल संसाधन जैसे संवेदनशील मुद्दों पर जनता का असंतोष किस हद तक हिंसक हो सकता है, जिससे देश की आंतरिक सुरक्षा को भी खतरा पैदा हो गया है। सरकार पर अब इन मुद्दों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने और जनता के विश्वास को बहाल करने का भारी दबाव है।