देखिए वीडीओ…तस्करी का नायाब तरीका : ट्रेन के AC कोच के डक्ट से बरामद हुआ अवैध शराब का जखीरा

00 यात्रियों ने कोच में कूलिंग न होने की शिकायत से खुला तस्करी का राज, नशाबंदी वाले बिहार में यूपी से ऐसे पहुंचाई जा रही शराब

TTN Desk

लखनऊ। लखनऊ-बरौनी एक्सप्रेस (ट्रेन नंबर 15204) के सेकंड एसी (2 AC) कोच में यात्रियों की कम कूलिंग की शिकायत ने एक बड़े शराब तस्करी रैकेट का पर्दाफाश किया। तकनीशियनों ने जब कोच के एसी डक्ट की जांच की, तो वहां अवैध शराब की 150 से अधिक बोतलें छिपाई हुई मिलीं। यह घटना उस समय सामने आई जब ट्रेन लखनऊ से बिहार की ओर जा रही थी।

0 150 बोतल शराब जब्त, कोच अटेंडेंट गिरफ्तार

जांच के दौरान रेलवे सुरक्षा बल (RPF) और सरकारी रेलवे पुलिस (GRP) ने A-2 कोच के एसी डक्ट से ऑफिसर्स चॉइस और आफ्टर डार्क ब्लू ब्रांड की 180 एमएल की 150 से अधिक बोतलें बरामद कीं, जिनका कुल आयतन लगभग 57 लीटर था। इस मामले में कोच अटेंडेंट आशीष कुमार, जो बिहार के खगड़िया जिले का निवासी है, को गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में आशीष ने खुलासा किया कि वह लखनऊ से सस्ते दामों में शराब खरीदकर बिहार में ऊंचे दामों पर बेचने के लिए तस्करी करता था, जहां 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू है।

0 सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो

इस घटना का एक वीडियो यात्रियों द्वारा रिकॉर्ड किया गया, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। वीडियो में तकनीशियन एसी डक्ट से शराब की बोतलें निकालते हुए दिखाई दे रहे हैं। यात्रियों ने कूलिंग की कमी के कारण असुविधा की शिकायत की थी, जिसके बाद यह जांच शुरू हुई। इस घटना ने रेलवे में सुरक्षा और निगरानी की खामियों को उजागर किया है।

रेलवे ने मांगी माफी, शुरू की जांच

रेलवे अधिकारियों ने पिछले सप्ताह सामने आई इस घटना पर खेद जताते हुए यात्रियों से माफी मांगी है। सोनपुर के मंडल रेल प्रबंधक (DRM) ने एक बयान में कहा, “यात्रियों को हुई असुविधा के लिए हम खेद प्रकट करते हैं। इस मामले की गहन जांच की जा रही है।” रेलवे ने यह भी आश्वासन दिया कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे।

0 बिहार में शराबबंदी और तस्करी की चुनौती

बिहार में 2016 से लागू शराबबंदी के बावजूद, शराब की तस्करी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। तस्कर अक्सर रेल और अन्य परिवहन साधनों का उपयोग करके शराब को पड़ोसी राज्यों से बिहार में लाते हैं। इस घटना ने रेलवे और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए निगरानी बढ़ाने की आवश्यकता को फिर से रेखांकित किया है।