







TTN डेस्क
गुवाहाटी, 21 सितंबर 2025: सिंगापुर में स्कूबा डाइविंग हादसे में निधन होने वाले असम के प्रसिद्ध गायक जुबिन गर्ग का शनिवार सुबह अंतिम संस्कार हुआ। उनके पार्थिव शरीर को दिल्ली से गुड़गांव एयरपोर्ट लाया गया, जहां से एक कमर्शियल फ्लाइट से गुड़गांव पहुंचाया गया। सुबह करीब 7 बजे फ्लाइट लैंड होते ही एयरपोर्ट पर हजारों प्रशंसक उमड़ पड़े, जिससे हलचल मच गई।
0 एयरपोर्ट पर भावुक विदाई: पत्नी की आंसू भरी नजरें और भीड़ का हंगामा
गुवाहाटी एयरपोर्ट पर जुबिन के पार्थिव शरीर को उतारते ही उनकी पत्नी गरिमा सैकिया गर्ग फूट-फूटकर रो पड़ीं। उन्होंने पारंपरिक असमिया गमोछा और फूलों की माला चढ़ाकर भावुक विदाई दी। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा, केंद्रीय मंत्री पबित्रा मार्गरीटा और वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। लेकिन हजारों प्रशंसकों की भारी भीड़ ने एयरपोर्ट पर हंगामा मचा दिया। पुलिस बैरिकेडिंग तोड़कर लोग आगे बढ़े, जिससे धक्कमुक्की हुई। प्रशंसक उनके गाने गा रहे थे और ‘जय जुबिन दा’ के नारे लगा रहे थे।
0 पत्नी गरिमा की भावुक अपील
इससे पहले उनकी पत्नी गरिमा सैकिया गर्ग ने अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक वीडियो संदेश साझा करते हुए भावुक अपील की। उन्होंने फैंस से इस अंतिम यात्रा के दौरान शांति और संयम बनाए रखने का आग्रह किया। “ज़ुबीन आखिरकार घर लौट रहे हैं। जब तक वो हमारे साथ थे, आप सभी ने उन्हें प्यार और आशीर्वाद दिया, और ज़ुबीन ने हमेशा उस प्यार का बदला दिया। मैं प्रार्थना करती हूं कि उनका अंतिम संस्कार शांतिपूर्ण हो।”
0 सड़कों पर सैलाब: पंखुड़ियां बरसाईं, गाने गाए, आंसू बहाए
एयरपोर्ट से पार्थिव शरीर को काहिलीपारा स्थित उनके आवास ले जाया गया। रास्ते भर हजारों लोग सड़कों पर उमड़ पड़े। भीड़ इतनी थी कि कन्वॉय की गति धीमी पड़ गई। प्रशंसकों ने एम्बुलेंस पर फूलों की पंखुड़ियां बरसाईं, उनके कटआउट और ‘जुबिन गर्ग फॉरएवर’ लिखे गमोछे लहराए। कई लोग रोते हुए चिल्ला रहे थे, “जुबिन दा, इतनी जल्दी क्यों चले गए?” असम के डीजीपी हरमीत सिंह और गुवाहाटी पुलिस कमिश्नर पार्थसारथी महंता ने पैदल आगे चलकर रास्ता साफ किया।
0 सरुसजाई स्टेडियम में अंतिम दर्शन: हजारों ने दी श्रद्धांजलि
पार्थिव शरीर को पहले सरुसजाई स्टेडियम ले जाया गया, जहां सुबह से ही हजारों प्रशंसक इंतजार कर रहे थे। यहां लोग अंतिम दर्शन के लिए लाइन में लगे रहे। स्टेडियम में उनके गाने बज रहे थे, और भीड़ ने सामूहिक रूप से श्रद्धांजलि दी। इसके बाद शरीर को उनके आवास ले जाया गया, जहां परिवार ने करीब डेढ़ घंटे तक अंतिम विदाई ली। अंतिम संस्कार काहिलीपारा में ही संपन्न हुआ।
0।तीन दिन का राजकीय शोक, बाजार बंद
असम सरकार ने जुबिन के निधन पर 20 से 22 सितंबर तक तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। इस दौरान कोई आधिकारिक मनोरंजन या समारोह नहीं होगा। पूरे असम में बाजार बंद रहे, और विभिन्न स्थानों पर श्रद्धांजलि सभाएं हुईं। बिस्वनाथ में ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन ने हजारों लोगों के साथ कैंडल लाइट मार्च निकाला। जुबिन की विदाई ने न केवल असम, बल्कि पूरे देश को गमगीन कर दिया।
0 ये थी जुबीन गर्ग की इच्छा
जनवरी में पॉप पेवेलोपीडिया को दिए एक इंटरव्यू में, ज़ुबीन ने अपने निस्वार्थ स्वभाव और अपने अंतिम दिनों को कैसे बिताना चाहते थे, इस बारे में बताया था। असम से बात करते हुए उन्होंने कहा, “मैं पागल हूं, मैं अपना सब कुछ लोगों को देना चाहता हूं। अपने लिए नहीं। मैं यहां खुश हूं। मेरा अपना स्टूडियो है, यही मेरा घर है।” फिर उन्होंने एक खास जगह के बारे में बताया जो उनके दिल के बहुत करीब थी, टिल्ला, महाबाहु ब्रह्मपुत्र नदी की ओर इशारा करते हुए, जिसे बोरफुकोनार टिल्ला या इटाखुली टिल्ला के नाम से भी जाना जाता है। इसके बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा था, “ये एक अच्छी जगह है। ये सबसे अच्छी जगहों में से एक है। वहां एक छोटा सा बंगला होगा। मैं वहीं रहूंगा और वहीं मरूंगा। जब मैं मर जाऊं तो लोग मुझे वहीं जला दें। या फिर मुझे ब्रह्मपुत्र में बहा दें। मैं एक सैनिक हूं। मैं एक रैम्बो जैसा हूं।”


