दिव्य गौरव : 19 वर्षीय दिव्या देशमुख ने रचा इतिहास, FIDE महिला चेस वर्ल्ड कप 2025 का खिताब जीता

00 ऐतिहासिक फाइनल में अपने से दोगुनी उम्र की भारतीय खिलाड़ी कोनेरू हंपी को हराया

TTN Desk

भारत की युवा चेस सनसनी दिव्या देशमुख ने जॉर्जिया के बाटुमी में आयोजित FIDE महिला चेस वर्ल्ड कप 2025 के फाइनल में दिग्गज भारतीय ग्रैंडमास्टर कोनेरू हंपी को टाईब्रेक में 1.5-0.5 से हराकर खिताब अपने नाम किया। यह पहली बार है जब कोई भारतीय महिला इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट की चैंपियन बनी है।

0 क्लासिकल मैचों में कांटे की टक्कर, टाईब्रेक में दिव्या की जीत

फाइनल में दोनों खिलाड़ियों के बीच शनिवार और रविवार को खेले गए क्लासिकल गेम ड्रॉ रहे। पहले गेम में दिव्या ने सफेद मोहरों से मजबूत स्थिति बनाई, लेकिन हंपी ने बराबरी कर ली। रविवार का दूसरा गेम भी संतुलित रहा। सोमवार को हुए रैपिड टाईब्रेक में दिव्या ने पहला गेम ड्रॉ कराया और दूसरा गेम काले मोहरों से जीतकर खिताब अपने नाम किया।

0 ग्रैंडमास्टर का खिताब और कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए क्वालीफाई

इस जीत के साथ 19 वर्षीय दिव्या देशमुख भारत की चौथी महिला ग्रैंडमास्टर बन गईं। उन्होंने FIDE महिला वर्ल्ड कप जीतने वाली पहली भारतीय महिला होने का गौरव भी हासिल किया। इसके साथ ही, दिव्या और कोनेरू हंपी दोनों ने 2026 में होने वाले महिला कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए क्वालीफाई कर लिया, जहां अगली विश्व चैंपियनशिप की चुनौती देने वाली खिलाड़ी का फैसला होगा।

0 दिव्या का शानदार सफर, दिग्गजों को दी मात

दिव्या ने टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन करते हुए कई शीर्ष खिलाड़ियों को हराया। उन्होंने प्री-क्वार्टरफाइनल में चीन की जिनेर झू, क्वार्टरफाइनल में भारत की डी. हरिका, और सेमीफाइनल में पूर्व विश्व चैंपियन तान झोंगयी को मात दी। फाइनल में कोनेरू हंपी को हराकर उन्होंने अपनी लगातार चौथी जीत दर्ज की।

0 पीएम मोदी ने दी बधाई, कहा- यह जीत युवाओं को प्रेरित करेगी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर दिव्या को बधाई देते हुए लिखा, “दो शानदार भारतीय शतरंज खिलाड़ियों का ऐतिहासिक फाइनल मुकाबला! युवा दिव्या देशमुख के FIDE महिला विश्व शतरंज चैंपियन 2025 बनने पर गर्व है। यह उल्लेखनीय उपलब्धि कई युवाओं को प्रेरित करेगी।” उन्होंने कोनेरू हंपी के शानदार प्रदर्शन की भी सराहना की।

0 दिव्या की भावुक प्रतिक्रिया, परिवार में खुशी का माहौल

खिताब जीतने के बाद दिव्या भावुक हो गईं और अपनी मां को गले लगाया। उन्होंने कहा, “यह किस्मत का खेल था। टूर्नामेंट से पहले मैं सोच रही थी कि शायद ग्रैंडमास्टर नॉर्म हासिल कर लूं, और आखिरकार मैं ग्रैंडमास्टर बन गई।” उनके परिवार और कोच श्रीनाथ नारायणन ने उनकी शांत और दृढ़ रणनीति की तुलना क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी से की।

0 भारतीय शतरंज में नया युग

दिव्या की इस जीत ने भारतीय महिला शतरंज को वैश्विक मंच पर नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। यह पहली बार था जब FIDE महिला वर्ल्ड कप के फाइनल में दो भारतीय खिलाड़ी आमने-सामने थीं। कोनेरू हंपी ने भी सेमीफाइनल में चीन की टिंगजी लेई को हराकर फाइनल में जगह बनाई थी। इस टूर्नामेंट में चार भारतीय महिलाओं—दिव्या, हंपी, हरिका द्रोणावल्ली, और आर. वैशाली—ने क्वार्टरफाइनल में जगह बनाकर इतिहास रचा था।

0 कितनी मिली इनामी राशि और क्या है भविष्य की संभावनाएं

दिव्या को इस जीत के लिए लगभग 50,000 डॉलर (करीब 42 लाख रुपये) की इनामी राशि मिली, जबकि उपविजेता कोनेरू हंपी को 30 लाख रुपये की राशि प्राप्त हुई। यह जीत भारतीय शतरंज के उज्ज्वल भविष्य का संकेत देती है, खासकर जब पुरुष वर्ग में डी. गुकेश जैसे युवा खिलाड़ी भी विश्व चैंपियन बन चुके हैं।