डॉ. कुमकुम को पीएचडी की उपाधि: मुंशी प्रेमचंद के साहित्य में दलित चेतना पर किया शोध

TTN डेस्क

कोरबा। स्थानीय एम पी नगर निवासी

डॉ. कुमकुम अरुण गुलहरे ने मुंशी प्रेमचंद के साहित्य में दलित जीवन एवं दलित चेतना के प्रति लोगों को जागरूक करने की दिशा में अपना शोध कार्य पूर्ण कर पीएचडी (Ph.D.) की उपाधि प्राप्त की है। उन्होंने अपना यह महत्वपूर्ण शोध कार्य डॉ. विद्यावती चंद्राकर के कुशल मार्ग-दर्शन में पूरा किया है।

0 शिक्षा और समाज के प्रति योगदान

डॉ. कुमकुम शिक्षा के क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय रही हैं। इससे पूर्व उन्होंने कमला नेहरू महाविद्यालय में प्राध्यापक के रूप में भी अपनी सेवाएँ दी हैं। अपने शोध के माध्यम से उन्होंने दलितों की उस दयनीय दशा को समाज के सामने उजागर किया है जो कालान्तर में व्याप्त थी। उनके शोध का मुख्य उद्देश्य इस वर्ग के उत्थान के लिए समाज को नई दिशा देना है।

0 साहित्यिक और सामाजिक महत्व

डॉ. कुमकुम ने कहा कि जिस प्रकार डॉ. अंबेडकर और सावित्रीबाई फुले आदि ने दलित उत्थान के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए, उसी कड़ी में मुंशी प्रेमचंद जी ने भी अपने साहित्य के माध्यम से समाज में जागरूकता लाने का प्रयास किया। उनका यह शोध प्रबंध प्रेमचंद जी के साहित्यिक दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने में सहयोगी सिद्ध होगा।
निश्चित रूप से डॉ. कुमकुम के इस शोध से समाज निर्माण में एक नई दिशा प्राप्त होगी और प्रेमचंद जी के दलित साहित्य को समझने का एक नया माध्यम मिलेगा।