ईरान के साथ सीधी जंग में क्यों कूदा अमेरिका? मध्य पूर्व में बढ़ता तना
OO अमेरिकी हस्तक्षेप के कारण और भविष्य की अनिश्चितता
TTN Desk
इजरायल द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले के बाद, अमेरिका ने अपने प्रमुख सहयोगी इजरायल का समर्थन करने के लिए सैन्य हस्तक्षेप किया। इजरायल का दावा है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है, और अमेरिका इस खतरे को रोकने के लिए सक्रिय हुआ। आइए जानते है कि आखिर वे क्या कारण है कि अमेरिका को इस युद्ध में सीधे कूदना पड़ा है…
रणनीतिक हित: मध्य पूर्व में अमेरिका के तेल और भू-राजनीतिक हितों को सुरक्षित रखने के लिए ईरान पर दबाव बनाना महत्वपूर्ण है। लाल सागर और होरमुज़ जलडमरूमध्य जैसे व्यापारिक मार्गों पर ईरान का प्रभाव अमेरिका के लिए चिंता का विषय है।
ट्रंप की नीति: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया, जिसमें तेहरान को आत्मसमर्पण की चेतावनी और सैन्य विमानों की तैनाती शामिल है। ट्रंप का दावा है कि ईरान का आसमान अब अमेरिका के नियंत्रण में है।
क्षेत्रीय शक्ति संतुलन: ईरान के समर्थन में रूस और चीन जैसे देशों की बढ़ती भूमिका ने अमेरिका को प्रत्यक्ष हस्तक्षेप के लिए प्रेरित किया, ताकि क्षेत्र में अपनी प्रभुता बनाए रख सके।अब आगे क्या होगा?
O और बढ़ेगा युद्ध
ईरान ने पलटवार की चेतावनी दी है, और यमन के हूती विद्रोहियों जैसे उसके सहयोगी लाल सागर में अमेरिकी जहाजों को निशाना बना सकते हैं। यह संघर्ष क्षेत्रीय युद्ध में बदल सकता है।
O वैश्विक प्रतिक्रिया पर नजर
रूस और चीन की संभावित प्रतिक्रिया तीसरे विश्व युद्ध की आशंका को बढ़ा सकती है। पुतिन ने अमेरिकी हस्तक्षेप को खतरनाक बताया है।
O व्यापार पर असर
लाल सागर मार्ग के बाधित होने से भारत जैसे देशों के व्यापार पर असर पड़ सकता है, और तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं।
O क्या होगा वो बड़ा कदम?
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप युद्धविराम से बड़ा कदम उठाने की बात कर रहे हैं, जो शायद शांति वार्ता या ईरान में शासन परिवर्तन की कोशिश हो सकती है।
O अगले दो दिन निर्णायक
अमेरिका का ईरान के साथ सीधा टकराव मध्य पूर्व को अस्थिर कर सकता है। अगले 24-48 घंटे निर्णायक होंगे, क्योंकि ट्रंप का अगला कदम और ईरान की प्रतिक्रिया स्थिति को और जटिल कर सकती है।