

TTN डेस्क
कोरबा (छत्तीसगढ़):कोरबा जिले के दीपका स्थित श्रमवीर स्टेडियम में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दौरान सुप्रसिद्ध भागवत कथाकार पंडित श्याम सुंदर पाराशर ने प्रेस वार्ता को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने भारतीय संस्कृति के वर्तमान स्वरूप और युवाओं की बदलती सोच पर गहरी चिंता व्यक्त की।
0 हिंदू हित की बात को सांप्रदायिक करार देना विडंबना
महाराज जी ने कहा कि वर्तमान समय में यदि कोई व्यक्ति हिंदू हित की बात करता है, तो उसे तुरंत सांप्रदायिक करार दे दिया जाता है। उन्होंने जोर दिया कि हमारे ऋषि-मुनियों का अमूल्य ज्ञान-विज्ञान और सांस्कृतिक विरासत आज के नवयुवकों तक पहुंचना अत्यंत आवश्यक है।
0 संस्कृति को लेकर जताई चिंता
पंडित पाराशर ने कहा कि यह एक बड़ी विडंबना है कि विदेशी लोग आज भारतीय संस्कारों और संस्कृति की महानता को समझकर उसे अपना रहे हैं, वहीं हमारी अपनी नई पीढ़ी अपनी जड़ों को भूलकर पाश्चात्य संस्कृति की ओर अंधी दौड़ लगा रही है। उन्होंने आगाह किया कि यदि युवाओं ने समय रहते अपनी संस्कृति की समझ विकसित नहीं की, तो आने वाले दिनों में समाज और राष्ट्र के लिए इसके घातक परिणाम हो सकते हैं।
0 श्रीमद् भागवत: मानसिक गुलामी की काट
कथावाचक ने श्रीमद् भागवत के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नई पीढ़ी आज मानसिक गुलामी की चपेट में है। ऐसे में श्रीमद् भागवत का ज्ञान उनके लिए संजीवनी का काम करेगा। उन्होंने कृष्ण कथा को एक ‘मधुर औषधि’ बताया और कहा कि इसे होम्योपैथिक दवा की तरह धीरे-धीरे ग्रहण करने से जन्म-मरण रूपी व्याधि से मुक्ति मिलती है।
0 तुष्टिकरण की नीति से संस्कृति को नुकसान
‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ का उल्लेख करते हुए महाराज जी ने कहा कि दीप जलाने की महान परंपरा भारतीय ऋषि संस्कृति की देन है। उन्होंने कड़े शब्दों में कहा कि तुष्टिकरण की नीति और विधर्मी सोच ने हमारी इन गौरवशाली परंपराओं को बहुत नुकसान पहुंचाया है।


