आज फिर सुनवाई : सुप्रीम कोर्ट ने बिहार वोटर लिस्ट विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया रद्द करने की चेतावनी क्यों दी,चुनाव आयोग और याचिकाकर्ताओं को मिली क्या राहत… जानिए पूरा मामला

00 सुप्रीम कोर्ट ने बिहार की SIR प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाने से इनकार कर चुनाव आयोग को राहत दी, लेकिन याचिकाकर्ताओं को आधार और वोटर आईडी को शामिल करने, पारदर्शिता सुनिश्चित करने, और प्रक्रिया को रद्द करने की चेतावनी देकर महत्वपूर्ण राहत प्रदान की। कोर्ट ने आयोग की प्रक्रिया में गंभीर खामियों, जैसे आधार और वोटर आईडी को अस्वीकार करने, प्रक्रिया की टाइमिंग, और पारदर्शिता की कमी पर नाराजगी जताई।

00 कोर्ट ने हिदायत दी कि यदि आयोग इन खामियों को दूर नहीं करता, तो पूरी SIR प्रक्रिया को रद्द किया जा सकता है, क्योंकि यह वैध मतदाताओं के अधिकारों का उल्लंघन कर सकती है और प्रक्रिया में निष्पक्षता की कमी है। अगली सुनवाई आज मंगलवार 29 जुलाई 2025 को होगी, जिसमें मामले की विस्तृत समय-सारणी तय होगी और याचिकाकर्ताओं को अपनी आपत्तियां पेश करने का मौका मिलेगा।

TTN Desk
नई दिल्ली।सोमवार, 28 जुलाई 2025 को सुप्रीम कोर्ट में बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई हुई। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने इस मामले में सुनवाई की। कोर्ट ने चुनाव आयोग की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए, पूरी प्रक्रिया को रद्द करने की चेतावनी दी, और कुछ राहत प्रदान की, लेकिन महत्वपूर्ण ये कि ड्राफ्ट मतदाता सूची के प्रकाशन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ताओं, जिसमें एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और विपक्षी दल जैसे कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल शामिल हैं, ने SIR प्रक्रिया को मनमाना और गैर-पारदर्शी बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की थी।

0 क्या है सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी के कारण

आधार और वोटर आईडी को शामिल न करना: सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग पर इस बात के लिए नाराजगी जताई कि SIR प्रक्रिया में आधार कार्ड और वोटर आईडी जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों को पहचान के लिए स्वीकार नहीं किया गया। कोर्ट ने कहा कि जब मतदाता पंजीकरण फॉर्म में आधार पहले से अनिवार्य है, तो इसे दस्तावेज के रूप में अस्वीकार करना समझ से परे है। कोर्ट ने इसे बड़े पैमाने पर मतदाताओं के बहिष्कार का कारण बताया।

प्रक्रिया की टाइमिंग पर सवाल: कोर्ट ने पहले की सुनवाइयों में भी सवाल उठाया था कि SIR प्रक्रिया को बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले क्यों शुरू किया गया। सोमवार को भी कोर्ट ने इसकी टाइमिंग पर चिंता जताई, यह कहते हुए कि यह प्रक्रिया पहले शुरू होनी चाहिए थी।

पारदर्शिता की कमी: याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि SIR प्रक्रिया मनमाने ढंग से चल रही है और इसमें पारदर्शिता का अभाव है। कोर्ट ने भी इस पर सवाल उठाए और आयोग से स्पष्ट नीति की मांग की।

प्रक्रिया को रद्द करने की चेतावनी: सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी कि यदि चुनाव आयोग अपनी प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित नहीं करता, तो पूरी SIR प्रक्रिया को रद्द किया जा सकता है। कोर्ट ने यह चेतावनी इसलिए दी क्योंकि उसे प्रक्रिया में गंभीर खामियां, जैसे गलत दस्तावेज नीति और वैध मतदाताओं के संभावित बहिष्कार का जोखिम, नजर आईं।

0 याचिकाकर्ताओं को ये मिली राहत

आयोग को निर्देश : सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को आधार कार्ड और वोटर आईडी को पहचान के दस्तावेज के रूप में स्वीकार करने पर विचार करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि ये दस्तावेज “प्रामाणिक” माने जाते हैं और इन्हें शामिल करने से प्रक्रिया की विश्वसनीयता बढ़ेगी। यह याचिकाकर्ताओं की मांग के अनुरूप था, जो वैध मतदाताओं के बहिष्कार को रोकना चाहते थे।

पारदर्शिता सुनिश्चित करने का आदेश:
कोर्ट ने चुनाव आयोग को SIR प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और याचिकाकर्ताओं की आपत्तियों का जवाब देने का निर्देश दिया। यह याचिकाकर्ताओं के लिए आंशिक राहत है, क्योंकि उनकी मांग थी कि प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाया जाए।
प्रक्रिया रद्द करने की चेतावनी: कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि आयोग अपनी प्रक्रिया में सुधार नहीं करता, तो पूरी SIR प्रक्रिया को रद्द किया जा सकता है। यह याचिकाकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण राहत है, क्योंकि यह उनकी मांग को मजबूती देता है।

अगली सुनवाई की समय-सारणी : कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की समय-सारणी तय करने के लिए 29 जुलाई 2025 की तारीख निर्धारित की। यह याचिकाकर्ताओं को अपनी आपत्तियों को और विस्तार से पेश करने का अवसर देता है।

0 चुनाव आयोग को दी गई राहत

ड्राफ्ट सूची पर रोक से इनकार: सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त 2025 को ड्राफ्ट मतदाता सूची के प्रकाशन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिससे चुनाव आयोग को बड़ी राहत मिली। कोर्ट ने कहा कि ड्राफ्ट सूची की वैधता याचिकाओं के अंतिम फैसले पर निर्भर करेगी।

प्रक्रिया को जारी रखने की अनुमति: कोर्ट ने SIR प्रक्रिया को तत्काल रोकने से इनकार कर दिया, जिससे आयोग को मतदाता सूची के पुनरीक्षण का काम जारी रखने की अनुमति मिली।

अगली सुनवाई की तारीख :
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 29 जुलाई 2025 की तारीख तय की है। इस सुनवाई में कोर्ट SIR प्रक्रिया की वैधता और याचिकाकर्ताओं की आपत्तियों पर विस्तार से विचार करेगा। कोर्ट ने आयोग को निर्देश दिया कि वह इस बीच प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करे और याचिकाकर्ताओं की शिकायतों का जवाब दे।

0 क्यों शुरू हुआ विवाद

बिहार में SIR अभियान 24 जून 2025 से शुरू हुआ था, जिसका उद्देश्य 7.89 करोड़ मतदाताओं की सूची को सत्यापित करना और फर्जी, मृत, या स्थानांतरित मतदाताओं के नाम हटाना था। आयोग के अनुसार, 7.24 करोड़ मतदाताओं ने फॉर्म जमा किए, जबकि 22 लाख मृत, 36 लाख स्थानांतरित, और 7 लाख डुप्लिकेट नाम हटाए गए। विपक्षी दलों, जैसे कांग्रेस, राजद, और अन्य, ने इस प्रक्रिया को “वोटबंदी” करार देते हुए आरोप लगाया कि इससे वैध मतदाताओं को सूची से हटाया जा सकता है। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि यह प्रक्रिया बिना पर्याप्त सूचना और गलत दस्तावेज नीति के कारण मतदाताओं के अधिकारों का उल्लंघन कर रही है।