TTN Desk
28 जून 2025 को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आचार्य श्री 108 विद्यानंद जी महाराज के जन्म शताब्दी समारोह का उद्घाटन हुआ। यह समारोह भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय और भगवान महावीर अहिंसा भारती ट्रस्ट, दिल्ली के सहयोग से आयोजित किया गया। यह एक साल तक चलने वाला राष्ट्रीय श्रद्धांजलि समारोह है, जो 28 जून 2025 से 22 अप्रैल 2026 तक मनाया जाएगा। इस दौरान देशभर में सांस्कृतिक, साहित्यिक, शैक्षिक और आध्यात्मिक कार्यक्रम आयोजित होंगे, जिनका उद्देश्य आचार्य विद्यानंद जी की शिक्षाओं और विरासत को जन-जन तक पहुँचाना है।
0।प्रधानमंत्री मोदी द्वारा डाक टिकट और सिक्का जारी
इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आचार्य विद्यानंद जी महाराज की 100वीं जयंती के उपलक्ष्य में एक स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी किया। उन्होंने एक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया, जिसमें आचार्य जी के जीवन और विरासत को दर्शाने वाली पेंटिंग्स और भित्ति चित्र प्रदर्शित किए गए। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में भारत की प्राचीन संस्कृति और आचार्य जी के अहिंसा, सेवा, और करुणा के संदेश को अपनाने का आह्वान किया।
0।प्रधानमंत्री मोदी को ‘धर्म चक्रवर्ती’ उपाधि
समारोह के दौरान जैन समुदाय द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘धर्म चक्रवर्ती’ की उपाधि से सम्मानित किया गया। पीएम मोदी ने विनम्रता के साथ कहा कि वह स्वयं को इस उपाधि के योग्य नहीं मानते, लेकिन संतों से प्राप्त हर उपहार को ‘प्रसाद’ मानकर स्वीकार करना भारतीय परंपरा है। उन्होंने इस उपाधि को माँ भारती के चरणों में अर्पित किया।
0आचार्य विद्यानंद जी महाराज कौन थे?
आचार्य विद्यानंद जी महाराज (जन्म: 22 अप्रैल 1925, शेदबल, बेलगावी, कर्नाटक) एक प्रमुख दिगंबर जैन मुनि, आध्यात्मिक गुरु, विद्वान और समाज सुधारक थे। उनका जन्म एक धार्मिक जैन परिवार में हुआ था, और उन्होंने कम उम्र में ही दीक्षा ग्रहण कर ली थी। वह आधुनिक समय के सबसे विपुल जैन विद्वानों में से एक थे, जिन्होंने 8,000 से अधिक जैन आगमिक छंदों को याद किया था। उन्होंने जैन दर्शन, अनेकांतवाद, और मोक्षमार्ग दर्शन पर 50 से अधिक पुस्तकें लिखीं।
0।प्राकृत भाषा का पुनरुद्धार
आचार्य विद्यानंद ने प्राकृत भाषा, जो भगवान महावीर के उपदेशों की भाषा है, को पुनर्जनन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में इस प्रयास की सराहना की और बताया कि सरकार ने प्राकृत को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया है।
0मंदिरों का जीर्णोद्धार
उन्होंने दिल्ली, वैशाली, इंदौर, और श्रवणबेलगोला सहित कई प्राचीन जैन मंदिरों के जीर्णोद्धार में योगदान दिया। वे भगवान महावीर के 2600वें जन्म कल्याणक महोत्सव और श्रवणबेलगोला महामस्तकाभिषेक से भी जुड़े थे।
0 जैन ध्वज और प्रतीक
1975 में भगवान महावीर के 2500वें निर्वाण महोत्सव के दौरान, उन्होंने सभी जैन संप्रदायों की सहमति से जैन ध्वज और अहिंसा के प्रतीक को डिजाइन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
0।कुंडग्राम की पहचान
उन्होंने बिहार के कुंडग्राम (बसोकुंड) को भगवान महावीर की जन्मस्थली के रूप में पहचाना, जिसे 1956 में भारत सरकार ने मान्यता दी।जीवन शैली: उन्होंने नंगे पांव देशभर की यात्राएँ कीं, कायोत्सर्ग ध्यान, ब्रह्मचर्य, और कठोर तपस्या का पालन किया।
0 28 जून 1987 का महत्व
इस दिन आचार्य विद्यानंद जी को ‘आचार्य’ की उपाधि मिली थी, जो जैन परंपरा को विचार, संयम, और करुणा से जोड़ने वाली एक पवित्र धारा थी। इसीलिए 28 जून 2025 को उनके शताब्दी समारोह का उद्घाटन इस तारीख को और विशेष बनाता है।आचार्य विद्यानंद जी महाराज को ‘युग पुरुष’ और ‘युग दृष्टा’ के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने अहिंसा, सेवा, और मानवता के संदेश को विश्व भर में फैलाया। पीएम मोदी ने उन्हें भारत की आध्यात्मिक परंपरा का आधुनिक प्रकाश स्तंभ बताया।