OO अयोध्या स्थित राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का निधन बुधवार को हो गया। 87 साल की उम्र में उन्होंने पीजीआई लखनऊ में अंतिम सांस ली। इसी के साथ अयोध्या में एक अनोखी दोस्ती का भी अंत हो गया. बाबरी मस्जिद के पूर्व पक्षकार इकबाल अंसारी और आचार्य सत्येंद्र दास अच्छे दोस्त थे और सभी त्योहारों में साथ नजर आते थे.उनके निधन पर कई राजनेताओं ने शोक व्यक्त किया है। पीएम नरेंद्र मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने सोशल मीडिया पर फोटो शेयर कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
TTN Desk
अयोध्या. अयोध्या राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का लखनऊ के संजय गांधी पीजीआई में बुधवार सुबह सात बजे निधन हो गया. वे कई दिनों से बीमार चल रहे थे. आचार्य सत्येंद्र दास बाबरी विध्वंस से लेकर भव्य राम मंदिर के निर्माण के साक्षी रहे. वे 1993 से रामलला की सेवा में लगे हुए थे. उन्होंने टेंट से लेकर भव्य मंदिर में विराजमान होने तक रामलला की सेवा की. 1992 में जब उन्हें रामलला का पुजारी बनाया गया तो उस वक्त उन्हें 100 रुपए वेतन मिलता था.
O सरयू नदी के तट पर कल होगा अंतिम संस्कार
आचार्य सत्येंद्र दास के शिष्य प्रदीप दास ने बताया कि लंबी बीमारी के बाद लखनऊ के पीजीआई में सुबह करीब 8 बजे उनका निधन हुआ है. उनका पार्थिव शरीर PGI से अयोध्या लाया जा रहा है. उनके पार्थिव शरीर को अयोध्या लेकर शिष्य निकल चुके हैं. अंतिम संस्कार कल (13 फरवरी) अयोध्या में सरयू नदी के किनारे होगा.
O पुजारी और अंसारी की दोस्ती ऐसी कि साथ साथ मनाते थे दीवाली हो या ईद
आचार्य सत्येंद्र दास जाति, धर्म और संप्रदाय के आधार पर भेदभाव में विश्वास नहीं करते थे. वह मुस्लिम समुदाय के पर्वों में भी जाते थे. राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास और बाबरी मस्जिद के पूर्व पक्षकार रहे इकबाल अंसारी एक दूसरे के पर्व और त्योहार में शामिल भी होते थे. होली, दीपावली, दशहरा, ईद जैसे त्योहार में इकबाल अंसारी और आचार्य सत्येंद्र दास एक दूसरे के घर भी जाते थे और उत्साह के साथ पर्व मनाते थे. लेकिन आज जब राम मंदिर के मुख्य पुजारी का निधन हुआ तो अंसारी के आंखें भी नम हो गई.
O अयोध्या के लिए अपूरणीय क्षति : अंसारी
बाबरी मस्जिद के पूर्व पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने भी आचार्य सत्येंद्र दास के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि अयोध्यावासियों के लिए यह बहुत बड़ी क्षति है. हमारे उनके पारिवारिक संबंध थे. हमारे पिताजी के समय से ही पुजारी जी से घरेलू संबंध थे. हमारे सुख-दुख में पुजारी जी शामिल होते थे और हम भी उनके त्योहार में शामिल होते थे. हम आचार्य सत्येंद्र दास को अपने पिता तुल्य मानते थे और हमारे लिए यह अपूरणीय क्षति है. इकबाल अंसारी ने कहा कि जीवन भर रामलाल की सेवा करने वाले आचार्य सत्येंद्र दास को ऊपर भी अच्छी जगह मिले यही हमारी प्रार्थना है.
Oटीचर की नौकरी छोड़कर पुजारी बने
उन्होंने 1975 में संस्कृत में आचार्य की डिग्री ली और फिर अयोध्या के संस्कृत महाविद्यालय में सहायक टीचर के तौर पर नौकरी शुरू की. इसके बाद मार्च 1992 में रिसीवर की तरफ से उन्हें पुजारी नियुक्त किया गया.
O रामलला के भव्य मंदिर में विराजमान होने के साक्षी बने
आचार्य सत्येंद्र दास ने टेंट से लेकर रामलला के भव्य मंदिर में विराजमान होने के साक्षी बने. हालांकि उन्होंने रामलला के भव्य मंदिर में विराजमान होने के बाद कार्यमुक्त करने का निवेदन भी किया, लेकिन राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की तरफ से इनकार कर दिया गया और कहा गया कि वे मुख्य पुजारी बने रहेंगे. साथ ही वे जब चाहें मंदिर में रामलला की पूजा कर सकते हैं. उनके लिए कोई शर्त की बाध्य नहीं रहेगी.
O100 रुपए वेतन से की थी शुरुआत
आचार्य सत्येंद्र दास की जब पुजारी पद पर नियुक्ति हुई तो उन्हें 100 रुपए मासिक वेतन मिलता था. भव्य राम मंदिर बनने के बाद उनका वेतन 38500 रुपए हो गया था. आचार्य सत्येंद्र दास के निधन के बाद अयोध्या में शोक की लहर है.