00 पुलिस की कार्रवाई पर गंभीर सवाल, विभागीय जांच के आदेश,एसएसपी ने कड़ी निंदा की
TTN Desk
जम्मू, 25 जून 2025: जम्मू में चोरी के एक आरोपी के साथ अमानवीय और अपमानजनक व्यवहार का मामला सामने आया है। एक व्यक्ति को चोरी के आरोप में गिरफ्तार करने के बाद उसे जूतों की माला पहनाई गई और पुलिस जीप के बोनट पर बिठाकर शहर में घुमाया गया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पुलिस की कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं, जिसके मद्देनजर विभागीय जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
0 बक्शीनगर इलाके की घटना
यह चौंकाने वाली घटना जम्मू के बख्शीनगर इलाके की बताई जा रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, एक व्यक्ति को चोरी के आरोप में पकड़ा गया था। पुलिस का दावा है कि यह आरोपी शहर में हुई कई चोरियों में वांछित था। उसे एक अस्पताल के बाहर से पकड़ा गया, जहां उसने कथित तौर पर एक मरीज के अटेंडेंट के 40,000 रुपये चुराए थे।
0आरोपी को अर्धनग्न किया,हाथ बांधे और गले में डाली जूते की मास्क
वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि आरोपी को कमर तक नग्न किया गया है, उसके हाथ पीछे बंधे हुए हैं, और उसके गले में जूतों की माला डाली गई है। इसके बाद उसे पुलिस वाहन के बोनट पर बिठाकर शहर की सड़कों पर सरेआम घुमाया गया। इस दौरान, पुलिस ने सार्वजनिक संबोधन प्रणाली (पब्लिक एड्रेस सिस्टम) के माध्यम से उसकी गिरफ्तारी की घोषणा भी की। विडंबना यह है कि कुछ लोग इस अमानवीय कृत्य पर तालियां बजाते और खुशी मनाते हुए भी दिखाई दे रहे हैं।
0 एसएसपी ने घटना की कड़ी निंदा की,कहा ये गैर पेशेवर व्यवहार
पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि आरोपी को पकड़ने में स्थानीय युवाओं ने भी मदद की थी, और उन्हीं लोगों ने कथित तौर पर उसके हाथ बांधे और जूतों की माला पहनाई थी। पुलिस ने उसे थोड़ी देर के लिए वाहन के बोनट पर बैठाया और फिर थाने ले गई।हालांकि, पुलिसकर्मियों के इस अति उत्साही व्यवहार और भीड़ को इस तरह की कार्रवाई करने से न रोकने पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। जम्मू के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) जोगिंदर सिंह ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए इसे “गैर-पेशेवर व्यवहार” बताया है, जो एक अनुशासित बल के सदस्यों के लिए अशोभनीय है। उन्होंने इस मामले में विभागीय जांच के आदेश दिए हैं और SDPO सिटी नॉर्थ को सात दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपने को कहा है।
0 मानवाधिकारों का उल्लंघन और पूर्व की घटनाएं
इस घटना को लेकर कई सोशल मीडिया यूजर्स और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने इसे मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन और कानून के राज की हत्या करार दिया है। उनका स्पष्ट कहना है कि पुलिस का काम जांच करना और कानून के दायरे में कार्रवाई करना है, न कि किसी को सार्वजनिक रूप से अपमानित कर सजा देना। यह ध्यान देने योग्य है कि यह दूसरी बार है जब जम्मू में इस तरह की घटना सामने आई है; इससे पहले 11 जून को भी गोलीबारी में शामिल तीन अपराधियों को पुलिस द्वारा सार्वजनिक रूप से पीटा गया था। यह घटनाएँ पुलिस की कार्यप्रणाली और प्रशिक्षण पर गंभीर सवाल उठाती हैं।