अनिल अंबानी के देश छोड़ने पर रोक : लुकआउट नोटिस जारी, 3000 करोड़ के लोन फ्रॉड मामले में ईडी की कार्रवाई तेज,जानिए पूरा मामला

00 अनिल अंबानी के खिलाफ ईडी की यह कार्रवाई उनके व्यापारिक साम्राज्य के लिए एक बड़ा झटका है, जो पहले ही कई वित्तीय संकटों से जूझ रहा है। लुकआउट नोटिस और चल रही जांच से उनके कारोबारी और व्यक्तिगत भविष्य पर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं।

00 रिलायंस ग्रुप ने इन आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया है कि यह पुराने और हल हो चुके मामलों से संबंधित है। अब सभी की नजर 5 अगस्त को होने वाली पूछताछ और ईडी की अगली कार्रवाई पर टिकी है।

TTN Desk

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी के खिलाफ ₹3,000 करोड़ के कथित लोन फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) जारी किया है। इस नोटिस के तहत अनिल अंबानी बिना जांच अधिकारी की अनुमति के देश छोड़कर नहीं जा सकते। यदि वे विदेश यात्रा करने की कोशिश करते हैं, तो उन्हें हवाई अड्डों या बंदरगाहों पर हिरासत में लिया जा सकता है। ईडी ने उन्हें 5 अगस्त, 2025 को दिल्ली में अपने मुख्यालय में पूछताछ के लिए बुलाया है, जहां उनका बयान मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज किया जाएगा।

0 ईडी की छापेमारी के बादबढ़ा जांच का दायरा

24 जुलाई, 2025 को ईडी ने अनिल अंबानी से जुड़ी कंपनियों के खिलाफ व्यापक छापेमारी शुरू की, जो तीन दिनों तक मुंबई और दिल्ली में 35 से अधिक स्थानों पर चली। इस दौरान 50 कंपनियों और 25 व्यक्तियों से संबंधित परिसरों की तलाशी ली गई। जांच में yes बैंक से 2017 से 2019 के बीच रिलायंस अनिल धीरुभाई अंबानी ग्रुप (एडीएजी) की कंपनियों को दिए गए लगभग ₹3,000 करोड़ के कथित अवैध लोन डायवर्जन पर ध्यान केंद्रित किया गया है। ईडी का दावा है कि लोन स्वीकृति से ठीक पहले Yes बैंक के प्रमोटरों को उनके संबद्ध संस्थानों में धन प्राप्त हुआ, जिससे रिश्वत और साठगांठ की आशंका पैदा होती है।

0 रिलायंस होम फाइनेंस और Yes बैंक का कनेक्शन

सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) ने रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (आरएचएफएल) में कॉरपोरेट लोन में असामान्य वृद्धि की ओर ध्यान आकर्षित किया, जो वित्त वर्ष 2017-18 में ₹3,742.60 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2018-19 में ₹8,670.80 करोड़ हो गई। ईडी इस वृद्धि को लोन डायवर्जन योजना से जोड़कर जांच कर रही है। जांच में Yes बैंक द्वारा लोन स्वीकृति में कई अनियमितताएं पाई गई हैं, जैसे कि बैकडेटेड क्रेडिट अप्रूवल मेमोरेंडम (सीएएम), बिना उचित जांच के निवेश प्रस्ताव, और बैंक की क्रेडिट नीति का उल्लंघन। इसके अलावा, कमजोर वित्तीय स्थिति वाली कंपनियों को लोन देना, एक ही पते और निदेशकों वाली कंपनियों को लोन, और लोन को शेल कंपनियों में डायवर्ट करना जैसे मुद्दे भी सामने आए हैं।

0 क्या मामला है रिलायंस कम्युनिकेशंस और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का

हाल ही में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) और इसके प्रमोटर अनिल अंबानी को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के दिशानिर्देशों के तहत ‘फ्रॉड’ घोषित किया। एसबीआई का आरकॉम के साथ ₹2,227.64 करोड़ का फंड-बेस्ड लोन और ₹786.52 करोड़ की बैंक गारंटी का एक्सपोजर है। बैंक ने इस फ्रॉड को आरबीआई को रिपोर्ट किया और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के साथ शिकायत दर्ज करने की तैयारी कर रहा है। ईडी की जांच में यह भी सामने आया कि आरकॉम को दिए गए ₹31,580 करोड़ के लोन का बड़ा हिस्सा गलत तरीके से अन्य कर्ज चुकाने और संबंधित पक्षों को डायवर्ट करने में इस्तेमाल हुआ।

0 रिलायंस ग्रुप का जवाब …पुराने है मामले, पॉवर और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर असर नहीं

रिलायंस पावर और रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर, जो अनिल अंबानी के ग्रुप की कंपनियां हैं, ने स्टॉक एक्सचेंज को सूचित किया कि ईडी की छापेमारी का उनके कारोबार, वित्तीय प्रदर्शन, शेयरधारकों, कर्मचारियों या अन्य हितधारकों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। उन्होंने दावा किया कि छापेमारी पुराने मामलों से संबंधित है, जो रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) और रिलायंस होम फाइनेंस (आरएचएफएल) से जुड़े हैं, और इनका उनके मौजूदा कारोबार से कोई संबंध नहीं है। ग्रुप ने यह भी कहा कि आरकॉम पिछले छह वर्षों से कॉरपोरेट इनसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रक्रिया (सीआईआरपी) के तहत है, और आरएचएफएल का मामला सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हल हो चुका है।

0 सेबी ने लगाया था बैन और 25 करोड़ का जुर्माना

सेबी ने पिछले साल अनिल अंबानी और 24 अन्य संस्थाओं को आरएचएफएल से फंड डायवर्जन के लिए प्रतिभूति बाजार से पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया था और ₹25 करोड़ का जुर्माना लगाया था। इसके अलावा, रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर द्वारा सीएलई प्राइवेट लिमिटेड को ₹10,000 करोड़ तक के फंड ट्रांसफर की भी जांच चल रही है, जिसे सेबी ने गलत तरीके से छिपाए गए लेनदेन के रूप में चिह्नित किया है। ईडी एक अन्य मामले की भी जांच कर रही है, जिसमें रिलायंस ग्रुप से जुड़ी कंपनियों ने सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एसईसीआई) को ₹68.2 करोड़ की फर्जी बैंक गारंटी दी थी।

0 यूके की अदालत पहले ही घोषित कर चुकी अनिल को दीवालिया

ईडी की जांच दो सीबीआई एफआईआर (RC2242022A0002 और RC2242022A0003) और नेशनल हाउसिंग बैंक, सेबी, नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (एनएफआरए), और बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा साझा की गई जानकारियों पर आधारित है। जांच में रिलायंस म्यूचुअल फंड द्वारा Yes बैंक के एटी1 बॉन्ड में ₹2,850 करोड़ के निवेश की भी जांच की जा रही है, जिसे बाद में राइट-ऑफ कर दिया गया। यह राशि जनता के म्यूचुअल फंड निवेशकों की थी, जिसे सिफॉन ऑफ करने का आरोप है। अनिल अंबानी के लिए यह मामला उनकी वित्तीय और कानूनी मुश्किलों को और बढ़ा सकता है, खासकर तब जब वे पहले ही 2020 में यूके की एक अदालत में दिवालिया घोषित हो चुके हैं।