TTN Desk
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया और उन्हें छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट जाने की सलाह दी है। बघेल ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच शक्तियों को चुनौती देते हुए यह याचिका दायर की थी।
0 सुप्रीम कोर्ट का फैसला
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) की धारा 44 में कोई कमी नहीं है। कोर्ट का मानना है कि अगर ED इस कानून का गलत इस्तेमाल कर रही है तो पीड़ित व्यक्ति हाई कोर्ट में अपील कर सकता है।
जस्टिस बागची ने कहा कि आगे की जांच के लिए ED को विशेष PMLA कोर्ट से अनुमति लेनी चाहिए। यदि ED ऐसा नहीं करती है तो यह कानून में नहीं, बल्कि उसके पालन में समस्या है।
0नभूपेश बघेल की दलील
अपनी याचिका में भूपेश बघेल ने मांग की थी कि PMLA की धारा 44 को “रीड डाउन” किया जाए। उन्होंने दलील दी थी कि एक बार पहली शिकायत दर्ज होने के बाद, ED को अदालत की अनुमति और कुछ सुरक्षा उपायों के साथ ही आगे की जांच करने की इजाजत मिलनी चाहिए।
0हाईकोर्ट जाने की सलाह
सुप्रीम कोर्ट ने विजय मदनलाल चौधरी केस का हवाला देते हुए कहा कि पहले भी यह स्पष्ट किया जा चुका है कि कोर्ट की अनुमति से ही आगे के सबूत रिकॉर्ड पर लाए जा सकते हैं। अगर ED ने इन नियमों का उल्लंघन किया है तो आरोपी हाई कोर्ट जा सकता है। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने बघेल की याचिका को खारिज कर दिया और उन्हें हाई कोर्ट में अपनी बात रखने की छूट दी।