00छत्तीसगढ़ के माटीपुत्र का मारवाड़ी शमशान घाट में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार, कवि कुमार विश्वास, डॉ. रमन सिंह, उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा सहित कई हस्तियां शामिल
TTN Desk
छत्तीसगढ़ी और हिंदी हास्य कविता के क्षेत्र में अपनी अनूठी पहचान बनाने वाले पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे का 26 जून 2025 को हार्ट अटैक के कारण निधन हो गया। 72 वर्षीय डॉ. दुबे को रायपुर के एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (ACI) में भर्ती कराया गया था, जहां उपचार के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन से साहित्य, संस्कृति और राजनीतिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई। 27 जून 2025 को रायपुर के मारवाड़ी शमशान घाट में उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया गया।
0 अंतिम यात्रा में शामिल हुईं प्रमुख हस्तियां
डॉ. सुरेंद्र दुबे की अंतिम यात्रा उनके निवास स्थान अशोका प्लैटिनम से मारवाड़ी शमशान घाट तक निकली। इस दौरान साहित्य, कला और राजनीति जगत की कई प्रमुख हस्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
0 मैने उनके संघर्ष को देखा,अपूरणीय क्षति : कुमार विश्वास
प्रख्यात कवि कुमार विश्वास ने दिल्ली से रायपुर पहुंचकर अपने करीबी मित्र डॉ. दुबे को अंतिम श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा, “सुरेंद्र दुबे का जाना छत्तीसगढ़ और साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। मेरी उनसे पहली मुलाकात 1991 में हुई थी, और मैंने उनके बेमेतरा से रायपुर तक के संघर्ष को करीब से देखा।” विश्वास ने उनके साथ अमेरिका, दुबई, शाहजहां और लंदन में किए गए काव्य कार्यक्रमों को याद किया।
0 डॉ. रमन सिंह ने कहा ” उनकी आवाज में माटी की थी खुशबू”
डॉ. रमन सिंह ने डॉ. दुबे के निवास पर पहुंचकर उनके पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा, “सुरेंद्र दुबे मेरे कॉलेज के जूनियर थे। उनकी आवाज छत्तीसगढ़ की माटी की सौंधी खुशबू थी, जिसने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर छत्तीसगढ़ी संस्कृति को सम्मान दिलाया।”
0 उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने दिया कंधा
उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने डॉ. दुबे को कंधा देकर उन्हें अंतिम विदाई दी। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “सुरेंद्र जी जीवन भर मुस्कान बांटते रहे, आज आंखें नम कर गए। उनकी रचनाएं हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगी।”
0सीएम सहित अनेक अन्य गणमान्य व्यक्ति,कवियों ने दी विदाई
अंतिम संस्कार में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, वित्त मंत्री ओपी चौधरी, कृषि मंत्री राम विचार नेताम, रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल, रायपुर दक्षिण विधायक सुनील सोनी, रायपुर कलेक्टर गौरव सिंह, नगर निगम कमिश्नर विश्वदीप, भाजपा प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय, पूर्व सांसद अभिषेक सिंह, सूफी भजन गायक पद्मश्री मदन चौहान, कवि सुदीप भोला और गायक-अभिनेता सुनील तिवारी सहित कई हस्तियां शामिल हुईं।
0 छत्तीसगढ़ की एक साहित्यिक और सांस्कृतिक धरोहर
डॉ. सुरेंद्र दुबे का जन्म 8 जनवरी 1953 को छत्तीसगढ़ के बेमेतरा में हुआ था। पेशे से आयुर्वेदिक डॉक्टर होने के बावजूद, उन्होंने हास्य और व्यंग्य कविता के माध्यम से अपनी विशिष्ट पहचान बनाई। उनकी कविताएं सामाजिक विसंगतियों पर तीक्ष्ण व्यंग्य के साथ गहरे संदेश देती थीं, जो उन्हें मंचों और टेलीविजन कार्यक्रमों में बेहद लोकप्रिय बनाती थीं।
0 साहित्यिक योगदान,लिखी पांच पुस्तकें
डॉ. दुबे ने मिथक मंथन, दो पांव का आदमी, और सवाल ही सवाल है सहित पांच पुस्तकें लिखीं। उनकी रचनाओं पर देश के तीन विश्वविद्यालयों में पीएचडी शोध हुए, जो उनकी साहित्यिक गहराई को दर्शाता है।
0पुरस्कार और सम्मान
2010 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री सम्मान।
2008 में काका हाथरसी हास्य रत्न पुरस्कार।
2012 में पंडित सुंदरलाल शर्मा सम्मान।
2019 में वाशिंगटन डीसी में अंतरराष्ट्रीय हिंदी एसोसिएशन द्वारा हास्य शिरोमणि सम्मान।शिकागो में नार्थ अमेरिका छत्तीसगढ़ एसोसिएशन द्वारा छत्तीसगढ़ रत्न सम्मान।
संयुक्त राज्य अमेरिका में लीडिंग पोएट ऑफ इंडिया सम्मान।
0 छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ी को दिलाई वैश्विक पहचान
डॉ. दुबे ने अमेरिका, कनाडा, दुबई, और लंदन जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर छत्तीसगढ़ी भाषा और संस्कृति को गौरवान्वित किया। उनकी कविताओं ने हास्य के साथ सामाजिक चेतना को जगाने का कार्य किया।
0 “….पर मुझको अंतिम साँस तक भाजपा चाहिए”
डॉ. सुरेंद्र दुबे न केवल एक कवि थे, बल्कि एक समाजसुधारक और राजनीतिक विचारक भी थे। वे भारतीय जनता पार्टी के विचारों से प्रेरित थे और 2017 में तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की उपस्थिति में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी। एक काव्य सम्मेलन में उनकी पंक्तियां, “मुझको भाजपा से कुछ नहीं चाहिए, पर मुझको अंतिम साँस तक भाजपा चाहिए,” आज भी सोशल मीडिया पर वायरल हैं।
0 सदैव स्मृतियों में जीवित रहेंगे
डॉ. दुबे की जीवटता का अंदाजा इस घटना से लगाया जा सकता है कि 2018 में उनके निधन की झूठी खबर वायरल होने पर उन्होंने अपनी हास्य शैली में कविता लिखी, “टेंशन में मत रहना बाबू, टाइगर अभी जिंदा है।” उनकी यह सकारात्मकता और हास्यप्रियता हमेशा याद की जाएगी। कवि कुमार विश्वास ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “छत्तीसगढ़ी भाषा व संस्कृति के वैश्विक राजदूत, बेहद ज़िंदादिल मनुष्य, कविश्रेष्ठ पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे जी का निधन साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। मेरे हृदय का रायपुर हमेशा उनकी अनुपस्थिति को महसूस करेगा।”
0 शोक की लहर और श्रद्धांजलि
डॉ. दुबे के निधन पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, राज्यपाल रामेन डेका, और अन्य साहित्यिक-सांस्कृतिक हस्तियों ने गहरा शोक व्यक्त किया।
मुख्यमंत्री साय ने कहा “छत्तीसगढ़ी साहित्य व हास्य काव्य के शिखर पुरुष का जाना साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। उनकी कविताएं हमेशा हमारे हृदय में जीवित रहेंगी।” डॉ. सुरेंद्र दुबे की अंतिम यात्रा में शामिल हजारों लोगों ने नम आंखों से उन्हें विदाई दी। उनके बेटे डॉ. अभिषेक दुबे ने उन्हें मुखाग्नि दी।



