छत्तीसगढ़ : बांग्लादेशी बताकर पश्चिम बंगाल के मजदूरों की गिरफ्तारी, हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

00 छत्तीसगढ़ के कोंडागांव में पश्चिम बंगाल के 12 मजदूरों को बांग्लादेशी बताकर गिरफ्तार करने और प्रताड़ित करने के मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है।

TTN Desk

बिलासपुर।मजदूरों ने याचिका दायर कर कार्रवाई रद्द करने, 1 लाख मुआवजा और काम की सुरक्षा की मांग की है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की खंडपीठ ने सरकार को दो सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया। याचिकाकर्ता एक सप्ताह में प्रति-उत्तर दाखिल करेंगे।

0 क्या है मामला ?

पश्चिम बंगाल के 12 मजदूर 29 जून को कोंडागांव में स्कूल निर्माण के लिए पहुंचे। 12 जुलाई को पुलिस ने आधार कार्ड के बावजूद उन्हें बांग्लादेशी बताकर गिरफ्तार किया, मारपीट की और जगदलपुर जेल भेज दिया। टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा और बंगाल पुलिस के हस्तक्षेप के बाद 14 जुलाई को मजदूर रिहा हुए, लेकिन पुलिस ने धमकाकर उन्हें राज्य छोड़ने को मजबूर किया।

0 संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन

याचिका में कहा गया कि मजदूर भारतीय नागरिक हैं और उन्हें देश में कहीं भी काम करने का अधिकार है। पुलिस ने बिना अपराध के अमानवीय व्यवहार किया। हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए जवाब मांगा है।

0 सांसद महुआ मोइत्रा और बंगाल पुलिस की दखल

13 जुलाई को घटना की जानकारी मिलने के बाद परिजनों ने टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा से संपर्क किया. इसके बाद पश्चिम बंगाल पुलिस ने इन मजदूरों के भारतीय नागरिक होने की पुष्टि करते हुए रिपोर्ट पेश की. इसके आधार पर महबूब शेख और 11 अन्य मजदूरों की ओर से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव और रजनी सोरेन ने 15 जुलाई को हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की.

0 क्या कहना था महुआ का

महुआ ने आरोप लगाते हुए कहा था, ‘मेरे निर्वाचन क्षेत्र के नौ लोग कोंडागांव जिले के अलबेडापारा में एक निजी स्कूल के निर्माण स्थल पर मिस्त्री के रूप में काम कर रहे थे. 12 जुलाई को पुलिस वहां पहुंची और उन्हें उठाकर ले गई. उनके पास सभी वैध दस्तावेज थे. उनके फोन बंद हैं, उनके परिवार के सदस्यों से मिली जानकारी के अनुसार, उन्हें बस्तर जिले की जगदलपुर जेल में रखा गया है.’

‘ये नौ प्रमाणिक श्रमिक हैं जो एक ठेकेदार के साथ वैध दस्तावेजों के साथ गए थे. न तो पश्चिम बंगाल सरकार और न ही परिवारों को इस बारे में कोई सूचना दी गई. हमें न तो हिरासत आदेश की कोई प्रति मिली है और न ही कोई सुनवाई हुई है,’ उनका कहना था.

हालांकि याचिका पर सुनवाई शुरू होने से पहले ही 14 जुलाई को एसडीएम कोंडागांव के आदेश पर मजदूरों को रिहा कर दिया गया.