कोरबा : मतदाता सूची पर उठे सवाल, पूर्व मंत्री जयसिंह ने लगाए गंभीर आरोप

TTN Desk

कोरबा । पूर्व राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने हाल ही में संपन्न हुए नगरीय निकाय चुनावों की मतदाता सूची पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए कहा है कि कई ऐसे अधिकारियों और लोगों के नाम शामिल हैं, जिनका तबादला हो चुका है या जो अब कोरबा में नहीं रहते हैं।

0 कलेक्टर बंगले के पते पर अभी भी 4 पूर्व कलेक्टरों के नाम

जयसिंह अग्रवाल ने दस्तावेज़ पेश करते हुए दावा किया है कि नगर निगम कोरबा के वार्ड क्र. 36 के कोसाबाड़ी मतदान केंद्र संख्या 04 की मतदाता सूची में भारी अनियमितता है। उन्होंने बताया कि इस सूची में कलेक्टर के सरकारी आवास (आवास क्र. C-2) के पते पर अभी भी चार पूर्व कलेक्टरों के नाम दर्ज हैं।
जिन पूर्व कलेक्टरों का नाम मतदाता सूची में है, वे हैं:

* रानू साहू (तबादला: 1 जुलाई 2022)
* मोहम्मद कैसर अब्दुल हक (तबादला: 6 फरवरी 2019)
* किरण कौशल (तबादला: 7 जून 2021)
* सौरभ कुमार (तबादला: 4 जनवरी 2024)
अग्रवाल ने यह भी बताया कि वर्तमान में कलेक्टर अजीत वसंत इसी आवास में रहते हैं।

0 कई अन्य अधिकारियों के नाम भी मौजूद

पूर्व मंत्री के अनुसार, सिर्फ पूर्व कलेक्टर ही नहीं, बल्कि कई अन्य अधिकारियों के नाम भी अभी तक मतदाता सूची से नहीं हटाए गए हैं। इनमें डिप्टी कलेक्टर रुचि शार्दुल, अपर कलेक्टर प्रियंका महोबिया, और कोषालय अधिकारी गौरीशंकर जागृति शामिल हैं, जिनके नाम उनके पुराने सरकारी आवासों के पते पर दर्ज हैं।
इसके अलावा, जिन अधिकारियों का तबादला या सेवानिवृत्ति हो चुकी है, उनके नाम भी अभी तक सूची में हैं:
* सेवानिवृत्त डिप्टी कलेक्टर बीएस मरकाम (सेवानिवृत्ति: 2022)
* सेवानिवृत्त जिला खाद्य अधिकारी एच. मसीह

0 त्रुटिपूर्ण सूची पर उठाए सवाल

जयसिंह अग्रवाल ने सवाल उठाया कि जब जिला निर्वाचन अधिकारी (जो कि कलेक्टर भी हैं) अपने ही आवास के पते पर हुई त्रुटियों को ठीक नहीं करा पाए, तो पूरे जिले की मतदाता सूची कैसे त्रुटिहीन हो सकती है। उन्होंने यह भी आशंका जताई है कि जिन अधिकारियों का नाम कोरबा की सूची में है, हो सकता है कि उन्होंने अपने नए कार्यस्थलों पर भी अपना नाम जुड़वा लिया हो, जिससे उनके पास दो मतदाता पहचान पत्र हों।

0 जांच की मांग

अग्रवाल ने दावा किया है कि यह केवल एक मतदान केंद्र की बात है, जहाँ 910 मतदाता हैं। पूरे निगम के 67 वार्डों में ऐसी और भी कई गड़बड़ियाँ हो सकती हैं। उन्होंने राज्य और भारत निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर पूरे प्रदेश की मतदाता सूची की निष्पक्ष जांच की मांग की है ताकि निर्वाचन प्रक्रिया पर लोगों का विश्वास बना रहे।