TTN डेस्क
कोरबा, 16 सितंबर: पूर्व कैबिनेट मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कुसमुंडा खदान विस्तार परियोजना के विस्थापित परिवारों के साथ हो रहे अन्याय को लेकर एसईसीएल (SECL) प्रबंधन और जिला प्रशासन पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने साफ चेतावनी दी है कि यदि विस्थापितों की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो यह मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर उठाया जाएगा।
0 वादाखिलाफी और अधिकारों का हनन
जयसिंह अग्रवाल ने कहा कि खदान विस्तार के लिए जिन परिवारों ने अपनी जमीनें और आजीविका छोड़ी थी, उन्हें आज भी रोजगार से वंचित रखा गया है। उन्होंने आरोप लगाया, “स्थानीय पात्र युवाओं को नौकरी नहीं दी जा रही, बल्कि बाहरी लोगों को प्राथमिकता दी जा रही है।” अग्रवाल ने भर्ती प्रक्रिया में अपारदर्शिता और ठेकेदारों की मनमानी पर भी गंभीर सवाल उठाए।
0 महिलाओं के साथ अपमानजनक व्यवहार
पूर्व मंत्री ने इस बात पर गहरा रोष व्यक्त किया कि जब विस्थापित महिलाएँ शांतिपूर्वक विरोध करती हैं, तो कंपनियों के ठेकेदार महिला बाउंसरों का इस्तेमाल कर उन्हें धमकाते हैं और उनके साथ अभद्र व्यवहार करते हैं। अग्रवाल ने कहा, “यह न सिर्फ सामाजिक मर्यादा का उल्लंघन है, बल्कि मानवाधिकारों का भी हनन है।” उन्होंने याद दिलाया कि पहले भी महिलाओं को अर्द्धनग्न होकर प्रदर्शन करना पड़ा था, लेकिन प्रबंधन ने केवल आश्वासन देकर मामले को टाल दिया।
0पुनर्वास कॉलोनियों की दयनीय स्थिति
अग्रवाल ने पुनर्वास कॉलोनियों की बदहाली पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि इन कॉलोनियों में पीने के पानी, स्वास्थ्य सेवाएँ, शिक्षा और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएँ तक नहीं हैं। कई परिवारों को अभी भी पूरा मुआवजा नहीं मिला है। उन्होंने कहा, “कागजों में तो पुनर्वास हो चुका है, लेकिन जमीनी हकीकत झुग्गीनुमा जीवन है।”
0 प्रशासन पर मिलीभगत का आरोप
अग्रवाल ने जिला प्रशासन और एसईसीएल प्रबंधन पर मिलीभगत का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बार-बार शिकायतें, धरने और ज्ञापन देने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। उनके अनुसार, यह केवल लापरवाही नहीं, बल्कि प्रशासनिक संरक्षण में कंपनियों की खुली मनमानी का प्रमाण है।
0संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन
जयसिंह अग्रवाल ने कहा कि यह मामला केवल मुआवजे का नहीं, बल्कि संविधान के प्रावधानों का सीधा उल्लंघन है, खासकर अनुसूचित जनजातियों के हितों की रक्षा (अनुच्छेद 46) की अनदेखी की गई है। उन्होंने कहा कि ग्राम सभा की सहमति और कानूनी प्रक्रियाओं को दरकिनार कर उत्पादन जारी रखना एक गंभीर अपराध है। अग्रवाल ने इस स्थिति को राहुल गांधी द्वारा दी गई “संविधान पर खतरे” की चेतावनी का जीवंत उदाहरण बताया।
0 प्रमुख माँगें और चेतावनी
अग्रवाल ने एसईसीएल और जिला प्रशासन से तत्काल निम्नलिखित पाँच माँगें पूरी करने को कहा है:
* सभी पात्र विस्थापितों को तुरंत रोजगार दिया जाए और बाहरी भर्ती पर रोक लगाई जाए।
* महिला बाउंसरों और संबंधित ठेका कंपनियों पर कड़ी कार्रवाई हो।
* पुनर्वास कॉलोनियों में बुनियादी सुविधाओं की तत्काल व्यवस्था की जाए।
* सभी लंबित मुआवजों का पारदर्शी वितरण सुनिश्चित किया जाए।
* ग्राम सभा की सहमति और सभी कानूनी प्रक्रियाओं की पुनः जाँच की जाए।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि प्रबंधन और प्रशासन ने इन मांगों पर तत्काल ध्यान नहीं दिया तो संघर्ष को और तेज किया जाएगा और किसी भी अप्रिय घटना की जिम्मेदारी पूरी तरह एसईसीएल प्रबंधन और जिला प्रशासन की होगी।