“एजुकेट गर्ल्स” को मैग्सेसे अवॉर्ड : खुद की पढ़ाई छोड़ने की आई थी नौबत, 20 लाख लड़कियों को पहुंचाया स्‍कूल, जानिए कौन हैं सफीना हुसैन ?

00 भारतीय संस्था एजुकेट गर्ल्स को एशिया के सबसे प्रतिष्ठित सम्मान रेमन मैग्सेसे पुरस्कार 2025 के लिए चुना गया है. यह भारत का पहला एनजीओ है जिसे यह प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त होगा।

TTN Desk

” एजुकेट गर्ल्स” इस संस्था ने देश के दूरदराज के इलाकों में लड़कियों की शिक्षा के लिए उल्लेखनीय काम किया है. ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की कमी और सांस्कृतिक रूढ़िवादिता को चुनौती देते हुए, इस संस्था ने अब तक 20 लाख लड़कियों को स्कूल से जोड़ा और उन्हें निरक्षरता की जंजीरों से मुक्त करने में अहम योगदान दिया है. आइए, इस संस्था की संस्थापक सफीना हुसैन के जीवन और उनके प्रेरणादायक सफर के बारे में जानते हैं….

0 सफीना हुसैन: शिक्षा की मशाल जलाने वाली एक दूरदर्शी

सफीना हुसैन का जन्म 21 जनवरी 1971 को दिल्ली में हुआ था. उनके पिता, युसूफ हुसैन, एक अभिनेता थे. पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहने वाली सफीना का सफर काफी संघर्ष भरा रहा है।सफ़ीना बताती है कि यह पिछले रविवार की बात है जब एक अंजान काल ने उनसे एजुकेट गर्ल्स और मेरी डिटेल इस सम्मान का हवाला देते हुए जाननी चाही।पहले तो मैने इसे कतई गंभीरता से ही नहीं लिया।किन्तु जब दो तीन बार कॉल आए तब मुझे भी गंभीर होना पड़ा।निश्चित ही यह संस्था से जुड़े हर किसी के लिए गौरव की बात है।सफ़ीना ने 17 साल साथ रहने के बाद प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक हंसल मेहता से शादी की।

0 बचपन आसान नहीं था,घरवाले तो कम उम्र में शादी कर देना चाहते थे

उनका बचपन आसान नहीं था. गरीबी,घरेलू हिंसा और मुश्किल हालातों ने उनके रास्ते में कई रुकावटें खड़ी कीं. एक समय ऐसा भी आया जब उन्हें स्कूल छोड़ना पड़ा. परिवार चाहता था कि उनकी जल्दी शादी कर दी जाए, लेकिन एक रिश्तेदार आंटी ने उनका साथ दिया.उन्हें अपने घर में जगह दी और पढ़ाई दोबारा शुरू करने में मदद की.यहीं से उनकी जिंदगी ने नया मोड़ लिया. सफीना ने 1987 से 1989 तक दिल्‍ली के डीपीएस स्‍कूल आरके पुरम से पढ़ाई की. इसके बाद वह 1992 से 1995 तक सफीना ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से डेवलपमेंट स्टडीज (LSE) में डिग्री हासिल की.सफीना ने एक इंटरव्‍यू में बताया कि शिक्षा ने मेरी जिंदगी बदल दी.इस अनुभव ने उन्हें यह अहसास कराया कि अगर एक लड़की को पढ़ने का मौका मिले तो वह न सिर्फ अपनी जिंदगी,बल्कि अपने पूरे परिवार और समाज को बेहतर बना सकती है. अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने समाजसेवा को अपना जीवन समर्पित करने का फैसला किया और लड़कियों की शिक्षा को अपना सबसे महत्वपूर्ण मिशन बना लिया.

0 विदेश से मिला अनुभव, भारत के लिए जज्बा

भारत लौटने से पहले, सफीना ने विदेशों में भी काम किया. 1998 से 2004 तक वे सैन फ्रांसिस्को में चाइल्ड फैमिली हेल्थ इंटरनेशनल की कार्यकारी निदेशक रहीं. यहां उन्होंने बच्चों और परिवारों से जुड़ी कई समस्याओं पर काम किया और गहरा अनुभव प्राप्त किया. हालांकि, उनके दिल में हमेशा यह ख्याल रहा कि उन्हें भारत में, विशेषकर उन लड़कियों के लिए कुछ बड़ा करना है जो शिक्षा से वंचित हैं.

0 एजुकेट गर्ल्स की स्थापना: एक छोटा कदम, एक बड़ा बदलाव

साल 2005 में मुंबई लौटने के बाद, सफीना ने ग्रामीण भारत में लड़कियों की शिक्षा की खराब स्थिति को करीब से देखा. इस समस्या को सुलझाने के लिए, उन्होंने 2007 में “एजुकेट गर्ल्स” की स्थापना की. इस पहल की शुरुआत राजस्थान के पाली और जालोर जिलों से हुई, जहां लड़कियों की शिक्षा की स्थिति सबसे दयनीय थी.
सफीना ने सरकारी स्कूलों के साथ मिलकर लड़कियों का नामांकन सुनिश्चित करने, उनकी पढ़ाई में सुधार लाने और बीच में पढ़ाई छोड़ने (ड्रॉपआउट) से रोकने पर काम शुरू किया. यह पहल धीरे-धीरे पूरे राजस्थान और फिर देश के अन्य हिस्सों में फैल गई, जिससे हजारों गांवों की लड़कियों को शिक्षा का अधिकार मिला.

0 नवाचार का अनूठा उदाहरण: दुनिया का पहला डेवलपमेंट इम्पैक्ट बॉन्ड

एजुकेट गर्ल्स ने 2015 से 2018 के बीच अपने काम को आर्थिक सहायता देने के लिए एक अनूठा मॉडल अपनाया. उन्होंने दुनिया का पहला डेवलपमेंट इम्पैक्ट बॉन्ड लॉन्च किया. इस मॉडल की खासियत यह थी कि इसमें फंड तभी जारी होता था जब संस्था अपने निर्धारित लक्ष्य पूरे कर लेती थी. सफीना का मानना था कि इससे काम में पारदर्शिता और नवाचार दोनों आते हैं. इस पहल के सफल होने के बाद, एजुकेट गर्ल्स ने लाखों लड़कियों को स्कूल से जोड़कर एक मिसाल कायम की.

0 सम्मान और पुरस्कार: सफीना के अथक प्रयासों की पहचान

अपने उत्कृष्ट काम के लिए सफीना हुसैन को देश-विदेश में कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया है.जिनमें प्रमुख है…

* WISE अवॉर्ड (2014 और 2023): शिक्षा में उनके योगदान के लिए.

* स्कोल अवॉर्ड (2015): सामाजिक उद्यमिता के लिए.

* एनडीटीवी-वूमेन ऑफ वर्थ अवॉर्ड (2016).

* नीति आयोग वीमेन ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया अवॉर्ड (2017).

* ईटी प्राइम वीमेन लीडरशिप अवॉर्ड (2019).

सफीना हुसैन का जीवन यह साबित करता है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती. उनका काम न केवल लड़कियों को शिक्षित कर रहा है, बल्कि समाज की सोच में भी एक बड़ा बदलाव ला रहा है.