
00 हिरासत में दवा से वंचित रखा, भोजन में ‘बर्फ की प्लेट’ परोसी गई; वकील ने लगाया अमानवीयता का आरोप
TTN डेस्क
नई दिल्ली/चंडीगढ़।
अमेरिका में लगभग 30 वर्षों तक रहने वाली पंजाब की 73 वर्षीय हरजीत कौर को वहां की इमिग्रेशन अथॉरिटी द्वारा कथित तौर पर अमानवीय तरीके से भारत निर्वासित (deported) किया गया है। कौर का कहना है कि उन्होंने ईमानदारी से काम किया, टैक्स भरा, और कभी भी आव्रजन चेक-इन की तारीख नहीं चूकी, फिर भी उनके साथ क्रूर व्यवहार किया गया।
0 हिरासत में यातना: ‘बर्फ की प्लेट’ और फ़र्श पर नींद
कौर, जो कि पंजाब के तरनतारन जिले के पंगोटा गाँव की मूल निवासी हैं, को 8 सितंबर को एक नियमित इमिग्रेशन चेक-इन के दौरान हिरासत में लिया गया था। उन्हें कैलिफ़ोर्निया के मेसा वर्डे आईसी प्रोसेसिंग सेंटर (Mesa Verde IC Processing Centre) में रखा गया, जहाँ उनके साथ दुर्व्यवहार हुआ।
0 बीमारी पर भी रहम नहीं
घुटनों के डबल रिप्लेसमेंट सर्जरी के बावजूद, उन्हें सोने के लिए बिस्तर नहीं दिया गया और एक कंक्रीट की बेंच वाले कमरे में फर्श पर सोने के लिए मजबूर किया गया।
0 दवा,खाना भी नहीं दिया
उनके वकील दीपक आहलूवालिया ने बताया कि जब कौर ने दवा लेने के लिए कुछ खाने को माँगा, तो उन्हें एक चीज़ सैंडविच दिया गया। जब उन्होंने दोबारा कुछ मांगा, तो एक गार्ड ने उन्हें बर्फ की प्लेट दी। उनके द्वारा दाँतों (dentures) की समस्या बताने पर, गार्ड ने कथित तौर पर कहा, “वह तुम्हारी गलती है।”उन्हें हिरासत के दौरान नहाने की अनुमति भी नहीं दी गई।
0 परिजनों को विदाई का मौका भी नहीं दिया गया
हरजीत कौर 33 साल पहले अपने पति के निधन के बाद अपने दो बेटों के साथ अमेरिका चली गई थीं और सैन फ्रांसिस्को बे एरिया में एक कपड़े की दुकान में काम करती थीं। उनके शरण (asylum) आवेदन खारिज हो चुके थे, अंतिम बार 2012 में।
उनके वकील आहलूवालिया ने अधिकारियों से मानवीय आधार पर अनुरोध किया था कि उन्हें 24 घंटे के लिए रिहा कर दिया जाए ताकि वह अपने सामान का ध्यान रख सकें और कमर्शियल फ्लाइट से जा सकें। उन्होंने इसके लिए टिकट भी संलग्न किया था, लेकिन अधिकारियों ने कोई जवाब नहीं दिया।
वकील ने बताया, “हमें सूचित किए बिना, शनिवार को देर रात करीब 2 बजे उन्हें मेसा वर्डे से निकाला गया और हथकड़ियों में लॉस एंजिल्स (LA) ले जाया गया।” इसके बाद उन्हें जॉर्जिया होते हुए एक डिपोर्टेशन उड़ान से नई दिल्ली भेजा गया। हालाँकि, अपनी उम्र के कारण वह फ्लाइट में हथकड़ी या जंजीर न लगाए जाने वाली एकमात्र यात्री थीं।
0 “इससे बेहतर की मर जाएं”
भारत लौटने के बाद, कौर सदमे में हैं और उन्होंने कहा कि उन्हें लगा, “इतने लंबे समय तक रहने के बाद, इस तरह अचानक हिरासत में लेना और निर्वासित करना… इससे बेहतर है कि व्यक्ति मर जाए।” वह फिलहाल पंजाब के मोहाली में अपनी बहन के साथ रह रही हैं। उनके वकील ने इस अमानवीय व्यवहार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने की बात कही है।


